डॉक्टर संजीव द्विवेदी का कहना है कि जब अटल जी के बारे में पढ़ा और जाना तो छात्र जीवन से ही वह अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व से इतना अधिक प्रभावित हुए कि को अटल जी को अपना पिता मानने लगे थे। संजीव का दावा है कि भारतीय संस्कृति में, वेदों पुराणों में मानस पुत्रोत्पत्ति का जिक्र है जिसमें मन से उत्पन्न होने वाले को मानस पुत्र कहा जाता है और इसी भावना के चलते उन्होंने अटल दृष्टि खंड लिखा जिसका विमोचन 25 दिसंबर 2016 को नई दिल्ली में हुआ था। अटल जी का मानस पुत्र घोषित किये जाने के लिए उन्होंने उन्होंने याचिका दाखिल की थी। जून 2018 में इस याचिका के दाखिल होने के बाद संजीव द्विवेदी लगातार इस ओर दावा कर रहे हैं। अटल जी का देहावसान हुआ तो संजीव द्विवेदी ने पहले तो उन्हें मुखाग्नि देने की मांग की और फिर उनका अंतिम संस्कार कार्यक्रम सनातन संस्कृति से करने की बात कही। संजीव द्विवेदी का कहना है कि मानस पुत्र का धर्म निभाते हुये सर मुंडवाकर अब वह 29 अगस्त बुधवार को हरदोई में शांति यज्ञ कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने निमन्त्रण पत्र भी बांटे हैं।