लोनार थानाध्यक्ष ने बताया कि घटनास्थल से 25 किमी दूर गर्रा नदी में लोनार में हरदोई-सवायजपुर रोड पर पुल बना है। इसके पास पूरी नदी में दोपहर सूचना मिलते ही जाल डलवा दिया गया। मौके पर एसडीएम स्वाती शुक्ला, सदर तहसीलदार, हरपालपुर थानाध्यक्ष भी मौके पर मौजूद हैं। बीडीसी रामरतन के नेतृत्व में 12 गोताखोरों की टीम को भी तलाशी अभियान में लगाया गया है। पुलिस टीम भी मौके पर पहुंची और किसानों को निकालने में लग गई। ग्रामीणों ने बताया कि लालाराम, देवेंद्र, अजयपाल, रामरहीश, पिंटू, सुनील, गौरा, रामसिंह, पारस, रामधुनी, रमेश, रामरहीस द्वितीय, रघुनाथ नदी से बाहर निकल आए, जिन्हें पीएचसी भिजवाया गया है।
हादसे के बाद क्या रहा जनप्रतिनिधियों का रुख, कौन कौन पहुंचे हादसे के बाद जनप्रतिनिधियों के रुख को लेकर भी गांव वालों में नाराजगी दिखी। घटनास्थल से गांव बेगराजपुर की दूरी करीब डेढ़ किमी है। दोपहर बाद ही हादसे की सूचना जंगल में आग की तरह पूरे जिले में फैल चुकी थी। कई घंटे बीतने के बावजूद अधिकांश जनप्रतिनिधि मौके पर नहीं नजर आए। किसी ने फोन से हालचाल लेकर खानापूरी की तो किसी ने जिले से बाहर होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। ग्रामीणों का कहना था कि बड़े जनप्रतिनिधियों के स्तर से बचाव के लिए कोई मदद भी नहीं पहुंचाई गई।
पुल के पास गहराई बनी मुसीबत गर्रा नदी के पुल की लंबाई करीब 120 मीटर है। नदी के तल से पुल की उंचाई करीब 45 फिट है। पुल के नीचे नदी की गहराई करीब 30 से 35 फिट होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस समय नदी में करीब 60 मीटर चौड़ाई में पानी बह रहा है। हालांकि इन दिनों पानी का बहाव धीमा। पुल के आसपास 500 मीटर दूरी में जाल लगाकर व गोताखोर लगाकर खोजबीन कराई गई।
प्रशासन के इन्तजामों से नाखुश दिखे ग्रामीण हादसे के बाद बचाव कार्य के लिए प्रशासन द्वारा किए गए इन्तजामों से ग्रामीण नाखुश हुए। संसाधनों के अभाव में जिम्मेदार अधिकारी भी असहाय नजर आए। इस पर महिलाएं भड़क गईं। उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। पुलिस कर्मियों पर गंभीरता से खोजबीन न करने का आरोप लगाया। इस पर अपर जिलाधिकारी वंदना त्रिवेदी ने पहुंचकर महिलाओं व पीड़ितों के परिजनों से बातचीत की। उन्हें भरोसा दिलाया कि पूरी तत्परता से बचाव कार्य किया जाएगा। पीड़ित परिवारों की पूरी मदद की जाएगी।