2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में इस सीट पर सपा का कब्जा रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा को मिलीं और भाजपा प्रत्याशी के रूप अंशुल वर्मा विजय प्राप्त कर सांसद बने। सांसद अंशुल वर्मा के चाचा श्याम प्रकाश इसी जिले के गोपामऊ सीट से भाजपा के विधायक है। लोकसभा 2014 के दौरान श्याम प्रकाश सपा से विधायक थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा से विधायक बने वरिष्ठ नेता श्याम के भतीजे अंशुल वर्मा जब 2014 का लोकसभा चुनाव लड़े थे तभी सपा में रहते हुए ही उनके विधायक चाचा के राम राम जय श्रीराम जपने की चर्चाएं रही लेकिन तत्कालीन सपा विधायक श्याम प्रकाश ने चर्चाओं को नकारते हुए तब कहा था कि उनका भतीजे अंशुल वर्मा भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे वो नहीं, वह सपा से विधायक है और सपा प्रत्याशी के साथ है लेकिन विधानसभा चुनाव 2017 के आते आते उनके अधिकृत रूप से स्वर बदले और वह भाजपा सांसद बन चुके भतीजे अंशुल वर्मा की पार्टी में शामिल हो गए और भाजपा से विधायक बन गए।
चाचा श्याम प्रकाश द्वारा शुरू की गई श्रीराम धुन केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सत्ता में जिले में सियासत की नई कमान संभालती नजर आई। प्रदेश में अपनी पार्टी भाजपा की सरकार के बाद स्थानीय मुद्दों पर अक्सर बयान के जरिये चर्चा में रहने वाले भाजपा विधायक श्याम प्रकाश ने लोकसभा चुनाव आते आते सियासत का नया दांव दिया है। उन्होंने हरदोई लोकसभा सीट से अपने बेटे रवि प्रकाश की भाजपा से टिकट की दावेदारी को समर्थन दिया है। भतीजे सांसद अंशुल वर्मा की सीट से भाजपा से बेटे रवि प्रकाश की दावेदारी के बाद विधायक श्याम प्रकाश भले ही अभी खुलकर कुछ नहीं कह रहे है मगर सियासत में चुनावी जंग के पहले आपनों के बीच टिकट को जंग की आहट और आगाज होता नजर आ रहा है। फिलहाल टिकट के मसले पर तो दोनों को आमने सामने होने के नजरिये से देखा जा रहा है ।