उत्तर प्रदेश के हरदोई में माता श्रवण देवी मंदिर की स्थापना 1864 से पूर्व की बताई जाती है। इसका निर्माण बाबा उमानाथ ने कराया था जबकि इस मन्दिर का जीर्णोंद्धार समलिया प्रसाद सेठ ने कराया था। प्रजापति दक्ष ने यहां पर यज्ञ का आयोजन किया जिसमें शिव को निमंत्रण नहीं दिया गया। दक्ष की कन्या मां सती ने बिना बुलाए ही यज्ञ में जाने की अनुमति शिव से मांगी, लेकिन उन्होंने सती को मना किया। सती के आग्रह पर शिवजी को अनुमति देनी पड़ी। यज्ञ में शिव का अपमान देखकर सती ने यज्ञ में ही अपनी आहुति दे दी। इसकी जानकारी होने पर शिव भगवान क्रोधित हो गए और सती के जले हुए शरीर को अपने कंधे पर डाल कर भ्रमण करने लगे। जहां-जहां सती का जो अंग गिरा वह उसी के नाम से पीठ बन गई। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में पर माता श्रवण का कान गिरा था, इसलिए यहां पर श्रवण देवी मंदिर सिद्ध पीठ स्थापित हो गई। इसका उल्लेख देवी भागवत में भी देखने को मिलता है।
मंदिर के परिसर में बनी है एक विशाल यज्ञशाला
मंदिर में मां श्रवण देवी की कई सालों पुरानी मूर्ति स्थापित है, इसके अलावा यहां पर विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है। इसके लिए श्रवण देवी के मंदिर के आस-पास कई छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। इसके अलावा यहां पर एक विशाल यज्ञशाला भी बनी हुई है, जहां पर आषाढ़ में भव्य यज्ञ का आयोजन किया जाता है। मंदिर के परिसर में प्रहलाद कुंड भी बना हुआ है जो यहां का आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां पर पहुंच कर भक्त आचमन लेते हैं।
नवरात्र में शतचंडी यज्ञ का होता है आयोजन
नवरात्र के दिनों में यहां प्रतिदिन सुबह से सभी भक्त पूजा व आरती के लिए आते हैं। नवरात्र पर इस मन्दिर में पूजन, आरती व यज्ञ का विशेष आयोजन किया जाता है। शारदीय नवरात्र में शतचंडी यज्ञ का वृहद आयोजन किया जाता है। यहां पर स्थापित मूर्तियां प्राचीन कलाओं को प्रदर्शित करती हैं। मंदिर परिसर में कई प्राचीन छोटे मंदिर बने हुए हैं जो वास्तु कला के लिए एक अलग ही पहचान बनी हुई है।
जानें कैसे पहुंचे मन्दिर
माता श्रवण देवी मंदिर शहर के सांडी रोड पर स्थित है। सभी भक्त मां के दर्शन के लिए रेलवे स्टेशन से नुमाइश चौराहा होते हुए बावन चुंगी से सांडी की ओर जाने वाले मार्ग पर दो किमी की दूरी पर है जहां वह आसानी से पहुंच सकते हैं, इसके अलावा बिलग्राम चुंगी से सांडी चुंगी आते हुए मंदिर पहुंचा जा सकता है। मंदिर के लिए एक रास्ता सांडी से भी आता है। सांडी की ओर से आने वाले भक्त सांडी चुंगी के पहुंचने पर कुछ ही कदमों पर मां श्रवण देवी के मंदिर पहुंच सकते हैं।