कवि सम्मेलन की शुरुआत लखीमपुर से आई कवयित्री रंजना सिंह हया की वाणी वंदना से हुई। युवा कवि शोभित तोमर ने “मां थी मैं अब रह गई केवल तुम्हारी धाय हूं, बेटों के होते कट रही हूं मैं अभागन गाय हूं” कविता पढ़ वाह वाही बटोरी। उन्नाव से आए स्वयं श्रीवास्तव का गीत बहुत “काली अंधेरी रात के साए में इक सूरज, सुबह अमृत के बल पर निकलना सीख लेता है” काफी सराहा गया। लखनऊ से पधारे शिव किशोर तिवारी ‘खंजन’ का गीत “मिले दी प्रेम का प्याला जहर भी जाम होता है, हृदय जो प्रेम में डूबा वो प्रभु का धाम होता है” को श्रोताओं ने काफी पसंद किया।
कार्यक्रम संयोजक अजीत शुक्ल की सत्ता परिवर्तन पर पढ़ी गई पंक्तियों को लोगों ने खूब सराहा। उन्होंने “चाटुकारिता के फंडे बदल रहे हैं, हो गया चुनाव अब झंडे बदल रहे हैं” सुना कर लोगों को खूब गुदगुदाया। मिश्रिख से पधारे गीतकार जगजीवन मिश्र ने बेटियों पर “महकेगा घर अगर पढ़ गई बेटियां, आगे बेटों से भी बढ़ गई बेटियां, “कविता पर तालियां बटोरी। कवि श्याम त्रिवेदी ने “जवानियां अड़ी तो दूर द्वेष द्वन्द हो गए, घमंड के कई पहाड़ खंड-खंड हो गए” कविता पढ़ वाह वाही लूटी। कार्यक्रम का संचालन कर रहे लखीमपुर से आए सुनीत बाजपेई ने “भरोसा क्या किसी का आजकल तो आम है यह सब, कलेजे से लगाकर पीठ में खंजर चुभा हो” गीत पर तालियां बटोरी। कवयित्री रंजना सिंह ‘हया’ ने “तुम्हें मुझसे नहीं है प्यार मैं तेरे संग नहीं जाऊंगी” गीत पर समा बांधा। उन्नाव से आए हास्य कवि के डी शर्मा ‘हाहाकारी’ की हास्य कविता” दस बीस दुकानें हैं जिनकी मुंबई कलकत्ता मा, उनके लरिका लाइन लगाए अब बेरोजगारी भत्ता मा” सुनकर श्रोता लोटपोट हो गए।
इस अवसर पर कवियों को डॉ0 शिवबालक शुक्ल की स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। रवि किशोर गुप्ता ने आए हुए कवियों एवं श्रोताओं का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में अखिलेश गुप्ता, उद्भव शुक्ल, रानू गुप्ता, श्याम जी गुप्ता ,कुलदीप द्विवेदी, पंकज अवस्थी, अभिषेक गुप्ता, प्रीतेश दीक्षित ,बी डी शुक्ला, महेश मिश्रा, गौरव भदोरिया, आलोक मिश्रा, आरिफ खा शानू ,सचिन मिश्र।