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नगर निकाय चुनाव: आरक्षण की घंटी बजने का इंतजार, नेता जी नए दल में इंट्री को बेकरार

locationहरदोईPublished: Oct 06, 2017 08:14:43 am

सियासी प्रेक्षकों की मानें तो आरक्षण चार्ट प्रकाशित होने के बाद जिले की राजनीति में दलबदल के बड़े खेल होने की संभावनाएं है।

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नगर निकाय चुनाव: आरक्षण की घंटी बजने का इंतजार, नेता जी नए दल में इंट्री को बेकरार

हरदोई. निकाय चुनाव को लेकर अध्यक्ष पदों पर जीत का सेहरा बांधने के लिए दलबदल से लेकर दिल बदलने में माहिर कई नेता चुनाव मेें विजय पताका लहराने के लिए नए दल में इंट्री को लेकर वेकरार है। उनकी यह बेकरारी पर आरक्षण की घंटी बजने की इंतजारी बढ़ा रही है। दरअसल कई लोग दल बदल कर नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों में अध्यक्ष के पद पर बरकारी रखने या फिर अध्यक्ष बनने के हसरत में नए दल में इंट्री के लिए तैयारी कर चुके हैं। कुछ लोगों की तो गत दिनों तक नए दलों में इंट्री तय सी मानी जा रही थी क्यों कि उन्हें इंट्री के साथ टिकट मिलने का भरोसा दिया भी मिल चुका था मगर ऐन वक्त पर यह इंट्री रूक भी गई जिसके पीछे सीटों पर आरक्षण के तस्वीर साफ होने तक इंतजार करने की सलाह देने वाले राजनीतिक गुरूओं की नीति रही। फिलहाल अभी भले ही निकाय चुनाव को लेकर तिथियों की घोषणा और आरक्षण की तस्वीर साफ नही मगर चुनावों को लेकर दलबदल से लेकर दिलबदल के खेल की बिसात बिछने के साथ ही आरक्षण की घंटी बजने के इंतजार में लग रही है। सियासी प्रेक्षकों की मानें तो आरक्षण चार्ट प्रकाशित होने के बाद जिले की राजनीति में दलबदल के बड़े खेल होने की संभावनाएं है।

जिले में 7 नगर पालिका और ६ नगर पंचायत

जिले में सात नगर पालिका में सदर हरदोई, शाहाबाद, पिहानी, संडीला, बिलग्राम, मल्लावां, सांडी है जब कि ६ नगर पंचायतों में पाली, गोपामऊ, कछौना, कुरसठ, माधौगंज, बेनीगंज है। पिछले चुनावों में अधिकांश स्थानों पर स्थानीय नेताओं के समर्थित प्रत्याशी अध्यक्ष बने थे इस बार भी इसी तरह की संभावनाएं है मगर सत्ता दल भाजपा के मिशन नगर निकाय को देखते हुए भाजपा प्रत्याशियों को लेकर दावेदारों की संख्या अत्याधिक होने के साथ ही अन्य दलों से चुनाव के लिए दावेदारी करने वाले और निर्दल दावेदारों के बीच भी चुनाव को लेकर हर बिंदु पर विचार विमर्श होने के संकेत मिल रहे है।
नरेश अग्रवाल की हो सकती है अहम भूमिका

वैसे तो नगर निकाय चुनाव स्थानीय स्तर के मुद्दों पर लड़े जाते है और कमोवेश स्थानीय नेता मजबूत कंधों के सहारे विजय पताका फहराते रहे है मगर इस सूबे में भाजपा सरकार है लिहाजा संभावित नतीजों को लेकर अटकलों के बीच ही दलबदल की बात तेज हुई है मगर इसके बाद भी कई सीटों पर सपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं सांसद राज्यसभा नरेश अग्रवाल की भूमिका को सियासी पंडित अहम मान रहे है। दरअसल नरेश अग्रवाल पिछले २० वर्षो सत्ता के साथ हरदोई में राजनीति के केन्द्रबिंदु रहे। इस बार वे सत्ता में नहीं है मगर हरदोई सदर सीट सहित कुछ सीटों पर उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है। चुनाव परिणाम कुछ भी मगर कुछ लोग नरेश अग्रवाल की कृपा से सपा में इंट्री के जरिए अध्यक्ष पद पाने की चाहत बनाए हुए है तो वहीं नरेश अग्रवाल से ही जुड़े लोग इस तरह की इंट्री को लेकर बगावत का रूख बना रहे है। कुल मिलाकर चुनावों में नरेश अग्रवाल की भूमिका अहम पड़ाव से जोड से देखा जा रहा है उसके पीछे हरदोई जिले में उनकी ४० वर्षो से अपराजित राजनीति और योगी मोदी लहर में भी चुनाव जीतने को मजबूत किला के रूप में माना जा रहा है।
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