चल रही सियासी खींचतान ऐसा माना जा रहा है की राजनीति के खिलाड़ी नरेश अग्रवाल हरदोई सीट से अपने किसी करीबी नेता को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। जबकि मौजूदा सांसद होने के नाते अंशुल वर्मा को यह बात नागवार गुजर रही है कि उनके टिकट को कटाने के लिए भाजपा के ही लोग कोशिश कर रहे हैं। शायद यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों से नरेश अग्रवाल और अंशुल वर्मा के बीच चल रही सियासी खींचतान एक दूसरे को लपेटे में ले रही है। दोनों एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाह रहे हैं।
नरेश अग्रवाल ने दावेदारी से किया इनकार इस बीच सूत्रों के हवाले से जो सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक नरेश अग्रवाल ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट के लिए खुद की दावेदारी से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि टिकट को लेकर उनसे कोई सरोकार नहीं है और वह सिर्फ पार्टी रीति-नीति के अनुसार हरदोई ही नहीं पूरे प्रदेश में भाजपा प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने का काम करेंगे। नरेश अग्रवाल के इस बयान के बाद कहीं न कहीं उनके समर्थकों में निराशा है। क्योंकि भाजपा में आने के बाद से नरेश अग्रवाल के समर्थक यह मानकर चल रहे थे कि लोकसभा चुनाव लड़कर पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल फिर से संसद भवन पहुंचेंगे। लेकिन नरेश अग्रवाल के लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद सारी कयासबाजी पर पूर्ण रूप से विराम लग गया है। जिसके बाद हरदोई लोकसभा सीट से टिकट के मसले पर चढ़ रहे सियासी पारे और टकराव के हालातों से भाजपा को कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में अगर नरेश अग्रवाल हरदोई सीट से अपने किसी करीबी नेता को टिकट के लिए आगे करते हैं तो यह टकराव एकबार फिर बढ़ सकता है।