यह है प्रदूषण के प्रमुख कारण
शहर में बेलगाम होकर चलने वाले जेनरेटरों के अलावा वर्षों पुराने खटारा वाहनों से निकलने वाला जहर जैसा धुंआ प्रदूषण का प्रमुख कारण है। इसके अलावा शहर में कोई बाईपास या रिंग रोड न होने के कारण बड़ी मात्रा में भारी वाहनों का आवागमन शहर के बीचों बीच से होता है, जिसके कारण सडक़ों के किनारे लगी इंटरलाकिंग से रगड़ कर उड़ने वाली डस्ट प्रदूषण को काफी बढ़ा रही है। जबकि शहर में साफ-सफाई व्यवस्था ठीक से न होने के कारण कूड़ा करकट पड़ा रहता है और लोग सड़कों पर ही करकट जला देते हैं, जोकि शहर की आवोहवा को जहरीला कर रहे हैं।
शहर में बेलगाम होकर चलने वाले जेनरेटरों के अलावा वर्षों पुराने खटारा वाहनों से निकलने वाला जहर जैसा धुंआ प्रदूषण का प्रमुख कारण है। इसके अलावा शहर में कोई बाईपास या रिंग रोड न होने के कारण बड़ी मात्रा में भारी वाहनों का आवागमन शहर के बीचों बीच से होता है, जिसके कारण सडक़ों के किनारे लगी इंटरलाकिंग से रगड़ कर उड़ने वाली डस्ट प्रदूषण को काफी बढ़ा रही है। जबकि शहर में साफ-सफाई व्यवस्था ठीक से न होने के कारण कूड़ा करकट पड़ा रहता है और लोग सड़कों पर ही करकट जला देते हैं, जोकि शहर की आवोहवा को जहरीला कर रहे हैं।
बच्चों पर मंडरा रहा काले धुएं का खतरा
इस समय शहर में सुबह और शाम के समय भारी मात्रा में धुंध भरा वातावरण होने के साथ ही विजविलिटी कम हो रही है। यह समय बच्चों के स्कूल जाने एवं आने का रहता है, जिसके कारण सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना उन्हीं को करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि शहर में सड़कों पर आवागमन खासतौर से पैदल चलना मुश्किल हो रहा है।
क्या है निदान
प्रसिद्ध नेचुरोपैथ डॉ. राजेश मिश्रा ने पत्रिका से फोन पर बात करके बताया कि प्रदूषण को बढ़ाने वाले साधनों एवं अव्य व्यवस्थाओं पर लगाम लगाने के साथ ही शहर में ग्रीन बेल्ट डेवलेप की जाए। ग्रीन बेल्ट में लगने वाले पौधे पेड़ बनकर इस प्रदूषण को रोकने के साथ आवोहवा को स्वच्छ रखने में मदद करेंगे। सभी लोग पौधरोपण कर पौधों को बच्चे की तरह पाल पोस कर वृक्ष बनाएं
इस समय शहर में सुबह और शाम के समय भारी मात्रा में धुंध भरा वातावरण होने के साथ ही विजविलिटी कम हो रही है। यह समय बच्चों के स्कूल जाने एवं आने का रहता है, जिसके कारण सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना उन्हीं को करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि शहर में सड़कों पर आवागमन खासतौर से पैदल चलना मुश्किल हो रहा है।
क्या है निदान
प्रसिद्ध नेचुरोपैथ डॉ. राजेश मिश्रा ने पत्रिका से फोन पर बात करके बताया कि प्रदूषण को बढ़ाने वाले साधनों एवं अव्य व्यवस्थाओं पर लगाम लगाने के साथ ही शहर में ग्रीन बेल्ट डेवलेप की जाए। ग्रीन बेल्ट में लगने वाले पौधे पेड़ बनकर इस प्रदूषण को रोकने के साथ आवोहवा को स्वच्छ रखने में मदद करेंगे। सभी लोग पौधरोपण कर पौधों को बच्चे की तरह पाल पोस कर वृक्ष बनाएं