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अखिलेश यादव के इस फैसले से मुलायम की बहू की बड़ी मुश्किलें, टिकट मिलना हुआ मुश्किल

locationहरदोईPublished: Jan 22, 2019 11:37:09 am

Submitted by:

Ruchi Sharma

अखिलेश यादव के इस फैसले से मुलायम की बहू की बड़ी मुश्किलें, टिकट मिलना हुआ मुश्किल

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अखिलेश यादव के इस फैसले से मुलायम की बहू की बड़ी मुश्किलें, टिकट मिलना हुआ मुश्किल

हरदोई. यूपी की सियासत में लोकसभा चुनावों को लेकर मचे घमासान के बीच पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी और शुरुआती राजनीति से साथी रहे स्व : परमाई लाल की बहू पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री ऊषा वर्मा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव ऊषा वर्मा को मुंहबोली बहू का दर्जा देते है। जब परमाई लाल नहीं रहे और उनके पुत्र का भी स्वर्गवास हो गया तो मुलायम सिंह ने अपने दोस्त के परिवार को सहारा दिया और बाबू परमाई लाल की बहु ऊषा वर्मा को आशीर्वाद देते हुए तीन बार सांसद बनवाया और एक बार अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में प्रदेश में मंत्री भी बनाया। स्व: परमाई लाल के परिवार से नेता जी मुलायम सिंह यादव के पारिवरिक रिश्तों और क़रीबी को लेकर प्रदेश में जब भी सपा सत्ता में रही इस परिवार को खासी तब्ब्जों मिली और मुलायम सिंह सहित अखिलेश यादव इस परिवार के कमोवेश सभी परिवारिक कार्यकर्मो में शिरकत करते रहे है । यही वजह है कि जब भी कोई चुनाव आता है तो सपा में इस परिवार के सदस्यों का टिकट और सपा में प्राथमिकता तय मानी जाती रही है।
हरदोई और आस पास के जनपदों में पासी समाज में खासी पकड़ रखने वाले रहे पूर्व मंत्री स्व : परमाई लाल की जमीनी पकड़ और धाकड़ राजनीति के संस्मरण आज भी याद किये जाते है। तीन बार सांसद और एक बार यूपी में मंत्री रह चुकी ऊषा वर्मा गत लोकसभा चुनाव हार गई थी। मोदी लहर में चुनाव हारने के बाद ऊषा वर्मा के गत विधानसभा चुनाव होने तक अखिलेश सरकार में मंत्री बनने से लेकर एमएलसी मनोनीत होने के कयास लगते रहे मगर अखिलेश सरकार में उन्हें तरजीह और प्राथमिकता के कयास सिर्फ ख्यालों तक रहे जिसके लिए उनके परिवार की नजदीकियां सपा से मानी जाती रही है ।
विधानसभा चुनावों के बाद से यह माना जा रहा है कि पूर्व सांसद ऊषा वर्मा फिर से लोकसभा चुनाव सपा से आएंंगे। मुुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव ने ऊषा वर्मा के घर आकर राजनीतिक और पुुुराने रिश्ते के मजबूूूत होने का अहसास कराया था। जिसके चलते ऊषा वर्मा का टिकट लोकसभा चुनाव के लिये तय माना जा रहा था।
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