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हरदोई में सपा-बसपा देगी भाजपा के देगी टक्कर, ये हो सकते हैं चुनाव के प्रत्याशी

locationहरदोईPublished: Jan 15, 2019 08:29:15 am

लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया।

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हरदोई में सपा-बसपा देगी भाजपा के देगी टक्कर, ये हो सकते हैं चुनाव के प्रत्याशी

हरदोई. लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। यूपी में इस गठबंधन के साथ ही चुनावी बिगुल फूंक दिया गया है। यह गठबंधन सत्तारूढ़ भाजपा के लिए कितनी मुसीबत भरा साबित होगा यह तो समय बताएगा लेकिन बीते उपचुनावों पर अगर नजर डाली जाए तो यह बात सामने आती है कि उपचुनाव में सपा और बसपा का समझौता भाजपा के लिए उपचुनावों में हार का कारण बना था। सपा बसपा के परंपरागत वोट और जातीय समीकरणों पर नजर रखने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी अपने चुनावी समीकरण और आंकड़ों के बीच लोकसभा चुनाव के लिए की तैयारी कर रही है लेकिन यहां पर एक बात और भी सामने आती है कि जिस तरह से भाजपा के सहयोगी दल और भाजपा के ही कुछ सांसद विधायक पार्टी और सरकार के खिलाफ बागी तेवर दिखाते हैं उससे बगावत की आशंका बढ़ जाती है और यदि टिकट वितरण में संतोष हुआ तो भाजपा के लिए इन सब से पार पाना और विजय पताका फहराने के लिए तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल तो एक एक सीट पर कई कई दावेदारों को समझना और पार्टी में असंतोष को रोकना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी । यदि बगावत होती है भाजपा के लिए बगावत किसी ने मुसीबत से कम नहीं होगी।

हरदोई की सदर लोकसभा सीट की इस सीट पर भाजपा के सिटिंग सांसद अंशुल वर्मा ने मोदी लहर में चुनाव में विजय श्री पाई थी और इस बार भाजपा के सबसे पहले बड़े टिकट के वही दावेदार माने जा रहे हैं। इसके अलावा सपा छोड़ कर भाजपा में आए कई बार सांसद रहे जयप्रकाश और कांग्रेसी रहेे सर्वेश जनसेवा, बसपा छोड़कर आए अशोक रावत और भाजपा केे विधायक श्याम प्रकाश के बेटे रवि प्रकाश सहित कई भाजपा नेता यहां से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। जबकि महागठबंधन से बाहर हो चुकी कांग्रेस इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए नए प्रत्याशी की तलाश में होगी तो वहीं सपा और बसपा से इसी सीट पर एक ही प्रत्याशी होने की दशा में गत चुनाव में रनर रहे बसपा प्रत्याशी रामकुमार कुरील और सपा प्रत्याशी पूर्व सांसद उषा वर्मा के बीच बड़ा मुकाबला टिकट पााने को लेकर इंतजार का रहेगा कि आखिर यह सीट बसपा के खाते में जाएगी यह सपा के खाते में जाएगी और दोनों में से अपना प्रत्याशी कौन उतरेगा। जातीय समीकरण और सियासी आकलन से इस तरफ तरह से देखा जाए तो यूपी में सपा और बसपा के गठबंधन के बाद भाजपा के लिए नई चुनौतियां सामने आ सकती है लेकिन इन सभी के बीच भाजपा के लिए भी राहत वाली खबर यह हो सकती है कि इस गठबंधन से होने वाले टिकट वितरण के बाद वे लोग जिनको इस बार टिकट नही मिल पाएगा वे भाजपा के लिए मददगार हो सकते हैं। फिलहाल तो यूपी में सपा बसपा के गठबंधन के बाद चुनावी गुणा भाग और सियासी हलचल तेज हो गई है।

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