हर-हर गंगे और हर-हर महादेव की गूंज के मध्य भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों, अखाड़ों की सवारियाँ गंगा स्नान, संगम स्नान के लिए धूमधाम से निकलती नजर आती हैं। पृथक ढंग और पृथक पहनावा, वेश भूषा, कोई केश बढ़ाये हुए, कोई इतने बढ़ाये हुए कि बरगद की तरह जटायें बढ़ गई हैं और कोई पूरा सिर मुण्डन, कोई मूछों को ऐंठ रहा है तो किसी की दाढ़ी पर बाल तक नहीं। उद्देश्य एक गंगा स्नान और भजन, श्रवण इत्यादि। विदेशी यात्रियों में भी वही श्रद्धा और भक्ति नजर आती है जो देशी यात्रियों में होती है। चारों ओर जैसे कि आनन्द पसरा नजर आता है।
देवी दुर्गा से सम्बन्धित स्त्रोत या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिताः आदि अनेक मंत्रों के उच्चारण के साथ भिन्न भिन्न देवियों के चैतन्य झाँकी जब खुलती हैं तो दर्शक रोमांचित नजर आते हैं। आत्मा पर जमी हुई पुराने दूषित संस्कारों और पापकर्मों की कालिख को मांजने का कार्य इस प्रकार के ज्ञानयुक्त और योगयुक्त शिविर ही कर सकते हैं। इस मण्डप में उपस्थित ब्रह्मावत्स प्रातःकाल 9 बजे से रात्रि 9 बजे तक निरन्तर देने के लिए तत्पर रहते हैं।