‘कॉल रिकॉर्डिंग सुनाए पुलिस’ पीड़िता के छोटे भाई ने बताया कि वह गाजियाबाद में काम करता है। उसने कहा कि हम लोग बहुत गरीब हैं इसलिए यूपी पुलिस हमें फंसाने की कोशिश कर रही है। गरीब होने के कारण हमारे उत्पीड़न का कोई अंत नहीं है। पुलिस अगर हमारे और आरोपी के बीच फोन पर बातचीत होने का दावा कर रही है तो उनके पास सबूत जरूर होने चाहिए। इसलिए पुलिस को हमें कॉल रिकॉर्डिंग भी सुनानी चाहिए। मेरी बहन अनपढ़ थी और फोन पर वह नंबर तक डायल करना नहीं जानती थी। न ही कॉल रिसीव कर पाती थी।
‘पुलिस बहन का चरित्र हनन करने में जुटी’ पीड़िता के बड़े भाई ने बताया कि जिस फोन नंबर के बारे में पुलिस बात कर रही है वह ज्यादातर उसका इस्तेमाल उसके पिता ही करते थे। पुलिस जो मुख्य आरोपी संदीप से बातचीत होने का दावा कर रही है वह झूठा है। संदीप हमारे घर की सड़क के दूसरी तरफ ही रहता है। पुलिस लगातार मेरी बहन का चरित्र हनन करने में जुटी हुई है। हमें अपनी बहन पर कोई शक नहीं है। हम हर वक्त बहन पर नजर रखते थे।
13 अक्टूबर, 2019 से फोन पर बातचीत शुरू होने का दावा गौरतलब है कि पीड़िता के परिवार और मुख्य आरोपी संदीप के बीच फोन पर लगातार बात होती थी। संदीप के फोन की सीडीआर से यह बात सामने आई है। पुलिस के मुताबिक संदीप के पास पीड़िता के भाई के नाम रजिस्टर्ड फोन नंबर से बराबर कॉल आते थे। 13 अक्टूबर, 2019 से पीड़िता के भाई के नंबर 989xxxxx और संदीप के 76186xxxxx के बीच टेलीफोनिक बातचीत शुरू हुई।