सरकारी गाइडलाइन्स के मुताबिक रेप के 96 घंटे के भीतर लिए सैंपल में ही रेप की पुष्टि हो सकती है। मंगलवार को JNMCH के CMO डॉ. शाह जैदी ने उन्हें पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से उन्हें नौकरी से निकाले जाने की सूचना दी। इधर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि डॉ. मलिक और डॉ. ओबेद के निष्कासन का हाथरस केस से लेना देना नहीं है। कोविड की वजह से कुछ डॉक्टर बीमार पड़ गए थे जिसकी वजह से इन दोनों डॉक्टरों को “Leave Vacancy” पर लाया गया था और अब इनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है। उधर, डॉ अज़ीम मलिक का कहना है कि हाथरस केस में मीडिया से बात करने की उन्हें सजा दी गई है।
पिछले महीने 14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में 20 साल की एक दलित युवती के साथ खेत में गांव के ही उच्च जाति के चार युवकों ने कथित तौर पर गैंगरेप किया था। उसके बाद उसके साथ मारपीट और बर्बरता की थी। पीड़िता के शरीर पर कई जगह गंभीर चोटें थी, उसकी रीढ़ की हड्डी पर भी गंभीर चोट थी। बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। उसकी मौत पर बवाल मचने के बाद जिला प्रशासन ने आनन-फानन में रात के अंधेरे में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। अब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।