हाथरस

जेएन मेडिकल कॉलेज के सीएमओ का दावा, एमएलसी रिपोर्ट में दुष्कर्म के संकेत, एफएसएल रिपोर्ट की नहीं कोई वैल्यू

हाथरस की घटना (Hathras Case) के संबंध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslium University) के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) को अप्रासंगिक बताया है।

हाथरसOct 05, 2020 / 07:49 pm

Karishma Lalwani

जेएन मेडिकल कॉलेज के सीएमओ का दावा, एमएलसी रिपोर्ट में दुष्कर्म के संकेत, एफएसएल रिपोर्ट की नहीं कोई वैल्यू

हाथरस. हाथरस की घटना (Hathras Case) के संबंध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslium University) के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) को अप्रासंगिक बताया है। उन्होंने मेडिको लीगल रिपोर्ट (एमएलसी) में योनि में पेनीट्रेशन होने की बात दर्ज है। बता दें कि एफएसएल रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि पीड़िता का दुष्कर्म नहीं किया गया था। जबकि इससे पहले उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने हाथरस मामले में कहा था कि 19 वर्षीय युवती ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में गर्दन की चोट के कारण दम तोड़ दिया, उसका बलात्कार नहीं हुआ था क्योंकि उसकी फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट में एकत्र नमूनों में शुक्राणु का संकेत नहीं था।

अलीगढ़ के सीएमओ डॉ. अज़ीम मलिक ने कहा है कि पीड़िता के साथ कथित तौर पर बलात्कार के 11 दिन बाद नमूने एकत्र किए गए थे, जबकि सरकारी दिशा निर्देशों में सख्ती से कहा गया है कि घटना के 96 घंटे बाद तक केवल फॉरेंसिक सबूत ही मिल सकते हैं। यह रिपोर्ट इस घटना में बलात्कार की पुष्टि नहीं कर सकती है। इसलिए एस रिपोर्ट की कोई वैल्यू नहीं है। जबकि इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर प्रदेश सरकार और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर दुष्कर्म न होने की बात कर रहे हैं। उधर, एएमयू की रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हमजा मलिक का कहना है कि गाइडलाइन के हिसाब से जब एफएसएल की रिपोर्ट अप्रासंगिक है तो एमएलसी के परीक्षण की बात और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आए संकेत को एक साथ जोड़कर निष्कर्ष निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आई है, उसमें साफ है कि पीड़िता का हाइमन क्षतिग्रस्त होने के बाद घाव ठीक हो जाना पाया गया है। हाथरस की घटना 14 सितंबर को घटित हुई थी जबकि शव का पोस्टमार्टम 29 सितंबर को किया गया। डॉ. हमजा ने कहा कि हाइमन का घाव ठीक होने के लिए आठ से 10 दिन काफी होते हैं। उन्होंने इस बात का भी दावा किया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पीड़िता की मेडिको लीगल रिपोर्ट (एमएलसी) को एक साथ जोड़कर देखें, तो दुष्कर्म की पुष्टि हो सकती है।

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