मैं खुश हूं कि मेरा बेटा सुबह सवेरे इस बात पर झगड़ा करता है कि रात भर मच्छर-खटमल सोने नहीं देते यानी वह रात घर पर गुज़रता है, आवारागर्दी नहीं करता। इस पर भी रब जी का शुक्र है।
मैं खुश हूं कि हर महीना बिजली, गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है। यानी ये सब चीजें मेरे पास, मेरे इस्तेमाल में हैं। अगर यह ना होती तो ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती? इस पर भी रब का शुक्र है
मैं खुश हूं कि दिन ख़त्म होने तक मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है । यानी मेरे अंदर दिनभर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत सिर्फ रब जी की मेहर से है।
मैं खुश हूं कि दिन ख़त्म होने तक मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है । यानी मेरे अंदर दिनभर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत सिर्फ रब जी की मेहर से है।
मैं खुश हूं कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोंछा करना पड़ता है और दरवाज़े -खिड़कियों को साफ करना पड़ता है। शुक्र है मेरे पास घर तो है न। जिनके पास छत नहीं उनका क्या हाल होता होगा? इस पर भी रब का शुक्र है।
मैं खुश हूं कि कभी कभार थोड़ी बीमार हो जाती हूँ यानी कि मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं । इस पर भी उस रब का शुक्र है। मैं खुश हूं कि हर साल त्योहारों पर तोहफ़े देने में पर्स ख़ाली हो जाता है। यानी मेरे पास चाहने वाले मेरे अज़ीज़ रिश्तेदार, दोस्त, अपने हैं, जिन्हें तोहफ़ा दे सकूं। अगर ये ना हों तो ज़िन्दगी कितनी बेरौनक हो? इस पर भी रब जी का शुक्र है।
मैं खुश हूं कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर उठ जाती हूँ यानी मुझे हर रोज़ एक नई सुबह देखना नसीब होती है। ज़ाहिर है ये भी रब जी का ही करम है।
सीख जीने के इस फॉर्मूले पर अमल करते हुए अपनी भी और अपने से वाबस्ता लोगों की ज़िंदगी पुरसुकून बनानी चाहिए। छोटी-छोटी परेशानियों में खुशियों की तलाश करें। खुश रहने का अजीब अंदाज़ निकालें। हर हाल में उस रब का लख-लख शुकराना कर जिंदगी को आसान बनाएं।
प्रस्तुतिः शुभम गुप्ता, हाथरस