बाहर से दवा लेने को मजबूर मरीज इतना ही नहीं कुछ मरीजों को बाहर की दवा भी लिखी जा रही है। जब इमरजेंसी के महिला और पुरुष बार्ड में भर्ती मरीजों के परिजनों से बात की गई तो उन्होंने बताया की अस्पताल से तो केवल चढ़ने वाली बोतल ही मिली है बाक़ी दवा और इंजेक्शन हमें बाहर से ही लाने पड़ रहे है। हम मजदूर आदमी है मजदूरी करते है इलाज के लिए पैसा है नहीं है हमारे पास। इधर उधर से और रिश्तेदारों से पैसा उधार लेकर इलाज के लिए दवाये बाहर से लेकर आ रहे है। वही अस्पताल की इमरजेंसी में भी भर्ती मरीजों को भी केवल बोतल अस्पताल से मिल रही है चढाने के लिए बाकी इंजेक्शन और दवा बाहर से लानी पड़ रहीं है मरीजों के परिजनों को। वही अस्पताल के सीएमस दवाओं पर पर्दा डालते नजर आये।
38 बार रिमाइंडर फिर भी नहीं मिली दवाइयां जब इस बारे में अस्पताल के दवा स्टोर इंचार्ज राजेश सेंगर से बात की गई तो उन्होंने बताया की दवा कम्पनियों को अब तक 38 बार रिमाइंडर दिया जा चुका है। फिर भी दवा कम्पनियां दवा नहीं भेज रही है। वही अस्पताल के सीएमएस आईबी सिंह भी मानते है की दवाओं का स्टॉक कम तो है पर मरीजों को दवा मिल रही है। वही जो दवाये कम है उनके लिए लगातार शासन से बात चल रही है। जब उनसे डाक्टरों द्धारा बाहर की दवाये लिखे जाने पर सवाल किया तो गोल मोल जवाब देकर वह सवाल को टाल गए।