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अकेले रहने वाले अवसाद के शिकार
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी और नोडल डॉ. मधुर कुमार के अनुसार वर्ष 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत हुई थी। उन्होंने बताया कि जो लोग डिप्रेशन या अवसाद में जी रहे हैं, उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि अधिकतर अकेले में रहने वाले डिप्रेशन और अवसाद के चलते आत्महत्या कर लेते हैं । ऐसे लोगों को ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। मानसिक बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। वर्तमान समय में बच्चों पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है। उन्होंने बताया कि लोगों में जागरूकता लाने के लिए ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ के अवसर पर रैली का आयोजन किया जाएगा।
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क्या हैं लक्षणडॉ. मधुर कुमार ने बताया कि मानसिक रोग कई प्रकार के होते है। इनमें डिमेंशिया, डिस्लेक्सिया, डिप्रेशन, तनाव, चिन्ता, कमजोर याददाश्त, बाइपोलर डिसआर्डर, अल्जाइमर रोग, भूलने की बीमारी आदि शामिल हैं। अत्यधिक भय व चिन्ता होना, थकान और सोने में समस्याएं होना, वास्तविकता से अलग हटना, दैनिक समस्याओं से निपटने में असमर्थ होना, समस्याओं और लोगों के बारे में समझने में समस्या होना, शराब व नशीली दवाओं का सेवन, हद से ज्यादा क्रोधित होना आदि मानसिक बीमारी के लक्षण हैं।
मानसिक बीमारी से बचाव के तरीकों पर प्रकाश डालते हुए डिप्टी सीएमओ डॉ. मधुर कुमार ने बताया कि यदि किसी को मानसिक बीमारी है तो उसे तनाव को नियंत्रित करना होगा, नियमित चिकित्सा पर ध्यान देना होगा, पर्याप्त नींद लेनी होगी। समस्या से ग्रसित व्यक्ति पौष्टिक आहार लें व नियमित व्यायाम करें।