कस्बा लाडपुर के चौधरी अचल सिंह इस सम्पूर्ण ग्राम की जायदाद के मालिक थे, इनके लाखन सिंह और विजय सिंह पुत्र थे। विजयपाल सिंह कहीं घूमने गये थे, तो उन्हें सर्प ने डंस लिया, तो उनकी मौत हो गयी। उनकी पत्नी दीपिका ने विजयपाल के साथ सती होने का निश्चय कर लिया। जिसका ससुराली और परिजनों ने विरोध किया, लेकिन उसके बाबजूद भी महिला ने सती होने की गुहार लगाई। ससुरालीजनों के विरोध के बबजुद गांव के लोग उसे वहां ले गए जहां उसके पति को दफनाया गया, तो ग्रामीणों ने कहा कि सती व्रत के आधार पर वह सती हो, तो उसने अपनी पति की 7 परिक्रमा लगाकर उसने अपने दोनों हाथों को रगड़ा तो उनमें चिंगारी पैदा हुई और वह सती हो गयी।
इतना ही नहीं गांव लाड़पुर में सती की याद में दुलेड़ी के दिन केशवराय जी महाराज का मेला लगता है और दौज को सती का मेला लगता है। परम्परा के अनुसार ग्रामीण यहां अपने बच्चो के मुंडन भी कराते हैं। रंगों वाली होली धुलेंडी के अगले दिन खेली जाती है।