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यूपी की इस शख्सियत ने लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी की जमानत जब्त करायी थी, पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

locationहाथरसPublished: Aug 18, 2018 04:27:48 pm

Submitted by:

suchita mishra

अफगानिस्तान दौरे के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जमकर तारीफ की थी।

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हाथरस। यूपी में हाथरस के राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लोकसभा चुनाव में जमानत जब्त करा दी थी। मामला वर्ष 1957 का है। उस समय अटल जी तीन जगहों से चुनाव लड़े थे। मथुरा में निर्दलीय प्रत्याशी राजा महेंद्र प्रताप सिंह थे, तब उन्होंने अटल जी की जमानत जब्त कराई थी। यही कारण है कि 25 दिसंबर 2015 को जब पीएम नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान का दौरा किया तो वहां की संसद में राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जमकर तारीफ की थी।
31 सालों तक देश से दूर रहे
अंग्रेजी हकूमत के अत्याचार और दुराचारों से बचपन से ही उन्होंने आजाद भारत का स्वप्न देखा था। जिसको पूरा करने के लिए उन्होंने 31 वर्ष सात माह तक विदेश में रहकर आजादी का बिगुल बजाया। उस समय आजाद भारत के लिए हजारों देशभक्तों ने अपनी जिंदगियां न्यौछावर की। जो जीवित रहे उनको पीने के लिए पानी भी नसीब नहीं होता था। खाने के नाम पर कोड़े मिलते थे। अंग्रेजी हकूमत और देशी कारागार में उनको रात व दिन का पता भी नहीं चल पाता था। राजा महेंद्र प्रताप भी उन क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने देश की खातिर ये सभी यातनाएं सहीं।
इतिहास में नहीं मिली वो जगह जिसके वे हकदार थे
हाथरस शहर को आज काका हाथरसी के नाम से जाना जाता है। यहां की हींग, घी और रबड़ी काफी प्रसिद्ध है। लेकिन यहां के राजा महेंद्र सिंह का नाम नहीं लिया जाता। इससे पता चलता है कि इतिहास में राजा महेंद्र सिंह को वो स्थान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। 28 साल की उम्र में उन्होंने अफगानिस्तान में देश की पहली निर्वासित सरकार का गठन कर दिया था। उस समय राजा महेंद्र सिंह को उस सरकार का राष्ट्रपति घोषित किया गया था।
शिक्षा के पक्षधर थे
राजा महेन्द्र प्रताप शिक्षा के महत्व को अच्छे से समझते थे, लिहाजा उन्होंने उस समय देश को तमाम शैक्षिक संस्थाएं दीं, जब लोग शिक्षा व्यवस्था की जानकारी भी नहीं रखते थे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए उन्होंने जमीन का बड़ा हिस्सा दान किया, जिसके बाद उस जमीन पर यूनिवर्सिटी का निर्माण हुआ। वहीं राजा साहब ने वृंदावन में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज खोला, जिसका नाम प्रेम महाविद्यालय रखा था।
नोबेल पुरस्कार के लिए दो बार चुने गए
राजा महेन्द्र प्रताप अपने आप में धर्मनिरपेक्षता का उदाहरण थे। उनका जन्म हिंदू परिवार में हुआ। शिक्षा मुस्लिम संस्थान में, यूरोप में तमाम ईसाइयों से उनके गहरे रिश्ते थे और सिख परिवार की राजकुमारी से उनकी शादी हुई थी। कम लोगों को पता है कि उनका चयन दो बार नोबेल पुरस्कार के लिए किया गया, लेकिन दोनों ही बार नोबेल पुरस्कार का ऐलान नहीं हुआ।
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