तरल पदार्थों का करें सेवन
जिला अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि इन दिनों खान-पान के प्रति ध्यान देना बेहद जरूरी है। ऐसे मौसम में लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। गर्मी से बचने के लिए अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों और बुजुर्गों के गर्मी की चपेट में आने का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोगियों, डायबिटीज, किडनी, सांस के मरीजों में हीट स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बृजेश राठौर ने बताया कि गर्मी में अधिक पसीना आने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर में पानी की कमी होने पर ओआरएस पाउडर, नींबू नमक के घोल का प्रयोग करें।
जिला अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि इन दिनों खान-पान के प्रति ध्यान देना बेहद जरूरी है। ऐसे मौसम में लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। गर्मी से बचने के लिए अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों और बुजुर्गों के गर्मी की चपेट में आने का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोगियों, डायबिटीज, किडनी, सांस के मरीजों में हीट स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बृजेश राठौर ने बताया कि गर्मी में अधिक पसीना आने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर में पानी की कमी होने पर ओआरएस पाउडर, नींबू नमक के घोल का प्रयोग करें।
चिकित्सक से परामर्श लेकर लें ड्राप आँखों में एलर्जी से परेशान मरीज आए दिन जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। चिकित्सक डॉ. सूर्य प्रकाश का कहना है आंख में लालिमा, खुजली व जलन होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। लापरवाही पर परेशानी बढ़ सकती है। तेज धूप और धूल से आंखों में एलर्जी की परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि इससे बचाव के लिए लोग चश्मे, लेंस तथा एलर्जी का ड्राप चिकित्सक से परामर्श लेकर कर सकते हैं।
हीट स्ट्रोक के लक्षण:
नब्ज की दर में तेजी, सांस उथली व तेज होना, व्यवहार में परिवर्तन व भ्रम की स्थिति, सिरदर्द मतली, थकान, कमजोरी, चक्कर आना, बदन पर चकत्ते पड़ना, अधिक पसीना आना, बदन में झटके व बेहोशी आदि।
नब्ज की दर में तेजी, सांस उथली व तेज होना, व्यवहार में परिवर्तन व भ्रम की स्थिति, सिरदर्द मतली, थकान, कमजोरी, चक्कर आना, बदन पर चकत्ते पड़ना, अधिक पसीना आना, बदन में झटके व बेहोशी आदि।
रोकथाम और उपचार:
– आफिस और फील्ड में समान अनुपात में काम करने वाले लोगों को हर एक घंटे में तरल पदार्थ लेना चाहिए।
– लगातार फील्ड में काम करने वाले लोगों को हर घंटे में एक लीटर नींबू पानी- शिकंजी या ओआरएस का घोल लेना चाहिए।
– हीट स्ट्रोक आने पर मरीज के शरीर पर तब ठंडी पट्टी बांधनी चाहिए जब उसका तापमान 101 डिग्री सेल्सियस से नीचे आ जाए। ऐसे रोगियों को हर आधे घंटे में एक लीटर तरल पदार्थ पिलाना चाहिए।
– आफिस और फील्ड में समान अनुपात में काम करने वाले लोगों को हर एक घंटे में तरल पदार्थ लेना चाहिए।
– लगातार फील्ड में काम करने वाले लोगों को हर घंटे में एक लीटर नींबू पानी- शिकंजी या ओआरएस का घोल लेना चाहिए।
– हीट स्ट्रोक आने पर मरीज के शरीर पर तब ठंडी पट्टी बांधनी चाहिए जब उसका तापमान 101 डिग्री सेल्सियस से नीचे आ जाए। ऐसे रोगियों को हर आधे घंटे में एक लीटर तरल पदार्थ पिलाना चाहिए।