दूसरे समुदाय ने किया विरोध हसायन कस्बा के मोहल्ला शीशगरान निवासी करीब 80 वर्षीय एहसान अहमद सूफी पुत्र उस्मान अहमद बर वक्ता इबादत में तल्लीन रहते थे। वह करीब 40 वर्ष पूर्व कस्बा से दिल्ली जाकर रहने लगे थे। दिल्ली में ही उनका इंतकाल हो हो गया। कुछ लोगों ने उनके शव को कस्बा के मोहल्ला कोलियान स्थित दीन अली शाह की दरगाह प्रांगण में दफनाये जाने की इच्छा जताई। जैसे ही यह बात फैली तो दूसरे समुदाय के लोगों ने आपत्ति जताई। दरगाह प्रांगण में शव दफनाने के लिए कब्र खोदने का विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि यहां दोनों समुदाय के लोग रहते हैं। कोई नया काम नहीं करने दिया जाएगा।
फोर्स मौके पर पहुंचा कस्बा में तनाव पैदा हो गया। सूचना पुलिस-प्रशासन को मिली तो मौके पर एडीएम अशोक कुमार शुक्ला, एएसपी सिद्धार्थ वर्मा, एसडीएम सिकन्द्राराऊ विजय कुमार शर्मा, सीओ सादाबाद योगेश कुमार के अलावा हसायन, सिकन्द्राराऊ, हाथरस जंक्शन, चन्दपा आदि थानों का फोर्स पहुंच गया। अधिकारियों ने तनाव के माहौल को शांत कराया।
आगरा में दफनाया दिल्ली से एहसान अहमद के शवको हसायन लाया जा रहा था। जब उनके परिजनों को यहां विरोध के बारे में जानकारी मिली तो दफनाने से इनकार कर दिया। दिल्ली से उनका शव आगरा लाया गया। रात्रि में बिल्लोचपुरा स्थित कब्रिस्तान में शव दफनाया गया। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली।
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