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NTPC के दर्जनों मजदूर पैदल ही निकले बिहार के लिए, खड़ी हुई रोजी-रोटी की समस्या

locationहजारीबागPublished: May 10, 2020 08:36:40 pm

Submitted by:

Prateek

Jharkhand News: सवाल यह उठता है कि बगैर कोरोना जांच के लॉक डाउन का उल्लंघन कर पैदल अपने घर खगड़िया जा रहे इन मजदूरों के कारण अगर सरकार की परेशानी बढ़ती है तो इसका जिम्मेवार आखिर कौन होगा?…

NTPC के दर्जनों मजदूर निकले पैदल ही निकले बिहार के लिए, खड़ी हुई रोजी-रोटी की समस्या

NTPC के दर्जनों मजदूर निकले पैदल ही निकले बिहार के लिए, खड़ी हुई रोजी-रोटी की समस्या

(हजारीबाग): झारखंड में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ते जा रहा है। सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी संक्रमण की गति धीमी नहीं पड़ रही है। ऐसे में जहां सरकार लॉक डाउन का अनुपालन करने और सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करने की अपील कर रही है। वहीं दूसरी ओर….

 

सरकार की चुनौती बढ़ रही है…

दूसरी ओर प्रवासी मजदूर सरकार और प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि सरकार के सख्ती के निर्देश के बावजूद लॉक डाउन में न सिर्फ लोग घरों से निकल रहे हैं बल्कि बिना जांच सोशल डिस्टेंसिंग की भी खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। बावजूद जिला प्रशासन ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई करने के बजाय हाथ पर हाथ धरकर बैठा है। जिससे न सिर्फ ग्रीन जोन कैटेगरी में रहने वाले चतरा जैसे जिले में भी संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है, बल्कि लापरवाह कार्य एजेंसियों और मजदूरों के मनमानी रवैया के कारण सरकार की भी चुनौती बढ़ती नजर आ रही है।


हजारीबाग से सटे चतरा जिले के टंडवा थाना क्षेत्र में स्थापित एनटीपीसी में कार्य कर रही कार्य एजेंसी सुरेश टेक्नो के दर्जनों कर्मी बगैर सुरक्षा जांच के पैदल ही अपने घर बिहार के खगड़िया के लिए निकल गए। अपने हाथों में बड़े-बड़े झोले और माथे पर प्लास्टिक बोरों में सामान उठाकर कर पैदल बिहार जा रहे कर्मियों का आरोप है कि लॉक डाउन के कारण कंपनी में काम पूरी तह बंद हो चुका है। जिसके बाद न तो कार्य एजेंसी के द्वारा उन्हें राशन दिया जा रहा था और ना ही अधिकारी और कर्मी उन लोगों की सुध ले रहे थे। ऐसे में बिहार से रोजगार की तलाश में चतरा के टंडवा आए इन दर्जनों मजदूरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

 

क्या कहते हैं मजदूर…

मजदूरों ने बताया कि जब तक उनके पास पैसे थे तब तक वे लोग रुके रहे। लेकिन अब उनके पास पैसे खत्म हो चुके हैं और इस स्थिति में न तो खाने के लिए राशन है और ना ही अनाज। मजदूरों का आरोप है कि कई बार ट्रैवल पास बनाने की गुहार लेकर टंडवा बीडीओ कार्यालय का भी चक्कर काटा लेकिन न तो प्रखंड विकास पदाधिकारी ने उनकी एक सुनी और ना ही एनटीपीसी के किसी भी अधिकारी और कर्मी ने उनकी मदद की। जिसके बाद परेशान होकर सभी मजदूर पैदल ही अपने घर के लिए निकल गए। लेकिन सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि टंडवा से निकलकर बिहार जा रहे मजदूर आराम से जिले के पांच थाना टंडवा, सिमरिया, सदर, जोरी और हंटरगंज थाना क्षेत्र से होकर गुजर गए और कहीं पुलिस ने इन्हें रोका तक नहीं। जो कहीं ना कहीं न सिर्फ प्रशासन की बड़ी चूक मानी जाएगी बल्कि पुलिस महकमे की लापरवाही को भी उजागर करता है।

 

अब ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि बगैर कोरोना जांच के लॉक डाउन का उल्लंघन कर पैदल अपने घर खगड़िया जा रहे इन मजदूरों के कारण अगर सरकार की परेशानी बढ़ती है तो इसका जिम्मेवार आखिर कौन होगा? क्योंकि भीड़ की शक्ल में जा रहे इन मजदूरों में एक भी कोरोना संक्रमण के चपेट में आता है तो निश्चित तौर पर न सिर्फ आम लोगों पर संक्रमण का खतरा बढ़ते हुए परेशानी बढ़ेगी बल्कि सरकार के लिए भी बड़ा चुनौती खड़ा हो जाएगा?

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