scriptब्रेस्टफीडिंग से जुड़े 7 मिथ्य और सच यहां पढ़ें | 7 myths and truths about breastfeeding | Patrika News

ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े 7 मिथ्य और सच यहां पढ़ें

Published: Aug 01, 2018 03:02:08 pm

ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कई भ्रांतियां हैं। खासकर नई पीढ़ी ऐसे कुछ मिथ्यों के चलते अपने नवजात शिशु को ब्रेस्टफीड नहीं करवाती।

world breastfeeding week 2018

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ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कई भ्रांतियां हैं। खासकर नई पीढ़ी ऐसे कुछ मिथ्यों के चलते अपने नवजात शिशु को ब्रेस्टफीड नहीं करवाती। सदियों से यह माना जाता रहा है और डॉक्टर्स भी कहते हैं कि जन्म के बाद से छह माह तक शिशु को केवल मां का दूध ही दिया जाना चाहिए। शिशु को हर तरह का पोषण मां के दूध से मिलता है। हालांकि कई नई माएं अपना फिगर खराब होने या सैगिंग की समस्या से बचने के लिए नवजात को ब्रेस्टफीड करवाने की बजाए, पाउडर दूध या गाय का दूध देने लगती हैं। यह गलत है। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही मिथ्य और उनके सत्य के बारे में बताने जा रहे हैं।
मिथ्य 1 – ब्रेस्टफीडिंग केवल बच्चे के लिए लाभदायक

सच : ब्रेस्टफीडिंग केवल शिशु के लिए ही नहीं बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद है। आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन यह सच है कि ब्रेस्टफीडिंग से मां का वजन कम होता है। प्रेग्नेंसी के समय हर महिला का करीब १२ से १५ किलो वजन बढ़ जाता है। डिलिवरी के तुरंत बाद वर्कआउट नहीं किया जा सकता, ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग के जरिए मां का वजन कम होता है।
मिथ्य 2 – ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेस्ट्स होती है सैगी

सच : असल में स्मोकिंग, एजिंग और प्रेग्नेंसी ब्रेस्ट्स की शेप में बदलाव का सबसे बड़ा कारण हैं। प्रेग्रेंसी के समय ब्रेस्ट हैवी हो जाती है, जिसे सपोर्ट करने के लिए लिगामेंट्स को स्ट्रेच होना पड़ता है। डिलिवरी के बाद जब वजन कम होता है तो ब्रेस्ट सैगी दिखने लगती है। हालांकि हर महिला पर यह असर अलग होता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि ब्रेस्ट्स का सैगी होने का ब्रेस्टफीडिंग से कोई लेना देना नहीं है।
मिथ्य 3 – छेटे ब्रेस्ट्स से शिशु को पर्याप्त दूध नहीं मिल सकेगा

सच : ऐसा बिल्कुल नहीं है। पैदा होने के दो से तीन दिन तक बच्चे के पेट का साइज एक मार्बल जितना छोटा होता है और इसके भरने के लिए एक टीस्पून से भी कम दूध की जरूरत होती है। तीन दिन बाद बच्चे के पेट का साइज पिंग पॉन्ग बॉल जितना हो जाता है और दसवें दिन मुर्गी के एक अंडे जितना। डिलिवरी के दो से पांच दिन बाद मैच्यौर दूध आना शुरू होता है।
मिथ्य 4 – ब्रेस्टफीडिंग के दौरान केवल ब्लैंड फूड जैसे कि दूध व अन्य डेरी प्रोडक्ट्स ही खा सकते हैं

सच : खानपान में ध्यान रखना जरूरी है, हालांकि हर चीज का असर दूध पर नहीं पड़ता। अगर आप पत्तागोभी या ब्रोकोली खाते हैं, तो इससे आपके बच्चे को गैस नहीं होगी। हालांकि कुछ फूड ऐसे हैं जिनका सीधा असर ब्रेस्ट मिल्क पर होता है और इससे शिशु का पेट खराब हो सकता है। इसमें सोया, पीनट्स, फिश और शैलफिश शामिल हैं। सबसे बेहतर तरीका है कि आप अपनी डायट को मॉनिटर करें और बच्चे पर उसका असर देखें। आप बहुत जल्द यह डीकोड कर पाएंगी कि आपके बच्चे को क्या सूट नहीं करता।
मिथ्य 5 – हर दो घंटे में करवाना पड़ता है फीड

सच : हर बच्चे का ईटिंग पैटर्न अलग होता है, इसलिए जरूरी है कि आप घड़ी को देखने की बजाए बच्चे को देखें और जब वह भूख जाहिर करे तब उसे फीड करवाएं।
मिथ्य 6 – ब्रेस्टफीडिंग से कर सकते हैं बर्थ कंट्रोल

सच : अगर आप फिर से प्रेग्नेंट नहीं होना चाहतीं तो ब्रेस्टफीडिंग को बर्थ कंट्रोल न समझें। हालांकि अगर आपका बच्चा छह माह से छोटा है और आप उसे दिन और रात में कई बार ब्रेस्टफीड करवा रही हैं और इसके साथ ही आपके पीरियड्स भी अभी तक रिज्यूम नहीं हुए हैं तो इसे बर्थ कंट्रोल में 98 प्रतिशत इफेक्टिव माना जा सकता है।
मिथ्य 7 – एक साल से ज्यादा समय तक ब्रेस्टफीड करवाने से बच्चा सॉलिड्स नहीं लेता

सच : शुरुआत में बच्चे को मां के दूध के अलावा बाहर का खाने और पचाने में थोड़ी परेशानी होती ही है, लेकिन यह कहना गलत होगा कि एक साल से ज्यादा समय तक ब्रेस्टफीडिंग करवाने से वह बाहर का कुछ भी नहीं लेगा। हालांकि कम से कम छह महीने तो बच्चे को मां का दूध पिलाना ही चाहिए।
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