यह डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह मच्छरों से फैलता है।इस वायस के लिए एडीज मच्छर से जिम्मेवार होता है। जो दिन के वक्त काटता है। संक्रमित मच्छर के काटने से यह बीमारी मनुष्यों में फैलती है। संक्रमित व्यक्ति के खून-लार से भी जीका वायरस फैल सकता है।
गर्भवती महिला को यह संक्रमण होने पर गर्भस्थ को ज्यादा खतरा रहता है।क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे को भी जीका बुखार हो सकता है। जिसकी वजह से बच्चे के सिर का विकास रूक सकता है। जीका वायरस की चपेट में आए बच्चे का सिर जन्म के समय सामान्य से छोटा हाेता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति को दिमाग व लिवर संबंधित दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। बड़ों को गुलियन बेरी सिंड्रोम अाैर बच्चाें को ऑटिज़्म, सुनने में दिक्कत और जान का भी खतरा रहता है। जीका वायरस के इंफेक्शन का असर 3-6 माह तक रहता है।
वायरल जैसे जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति को हल्का बुखार रहता है। इसके साथ ही थकान, आंखों का लाल होना और जोड़ों में दर्द मरीज को सिरदर्द होना और शरीर पर लाल चकत्ते निकलते हैं ।
जीका वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है, कोई दवा भी नहीं है, इसमें लक्षणों के आधार पर इलाज होता हैं। बुखार और दर्द से आराम देने के लिए मरीज को पैरासिटामॉल देते हैं। जीका वायरस की पहचान के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट होता है।
– जीका वायरस से बचाव के लिए मच्छरों से दूर रहना चाहिए।
– मच्छरदानी का प्रयोग करें और घर के आसपास सफाई रखें।
– घर के पास जलभाव न होने दें, कीटनाशक का छिड़काव करें ।
– सुबह-शाम मच्छर ज्यादा सक्रिय रहते हैं, पूरे कपड़े पहनें।
– संक्रमित खून से जीका होता है, मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक से रक्त लें।
– इससे संक्रमित व्यक्तियों को भी विशेष सावधानी बरतनी होती है।