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एडिज इजिप्टी है जीका वायरस की मुख्य वेक्टर प्रजाति, एेसे फैलाती है राेग

locationजयपुरPublished: Oct 13, 2018 12:23:17 pm

एडिज इजिप्टी ( एर्इ इजिप्टी ) जीका वायरस रोग की मुख्य वेक्टर प्रजाति है। यह वायरस भारत में व्यापक रूप से पाया जाता है।

Adige Aegypti

एडिज इजिप्टी है जीका वायरस की मुख्य वेक्टर प्रजाति, एेसे फैलाती है राेग

एडिज इजिप्टी ( एर्इ इजिप्टी ) जीका वायरस रोग की मुख्य वेक्टर प्रजाति है। यह वायरस भारत में व्यापक रूप से पाया जाता है। इसके रहने की जगह सामान्यतः अाेवरहैड टैंक, भूमिगत जल भंडारण टैंक अाैर सैप्टिक टैंक होते हैं। मतलब एर्इ इजिप्टी लगभग पूरी तरह से घराें, निर्माण स्थलाें अाैर कारखानाें में एवं उसके आस-पास पाए जाने वाले मानव-निर्मित जल भराव के स्थानाें पर पनपता है।
लार्वा के रहने के प्राकृतिक स्थान दुर्लभ होते हैं, पंरतु इनमें पेडाें के छेद, पत्तियाें के धुरादंड अाैर नारियल के खाेल शामिल हैं। एर्इ इजिप्टी की संख्या बारिश अाैर नमी के साथ घटती-बढती रहती है। बरसात के समय में यह अधिक समस तक जीवित रहता है, तब वायरस के फैलने का खतरा अधिक रहता है।
कैसे फैलता है जीका वायरस
यह डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह मच्छरों से फैलता है।इस वायस के लिए एडीज मच्छर से जिम्मेवार होता है। जो दिन के वक्त काटता है। संक्रमित मच्छर के काटने से यह बीमारी मनुष्यों में फैलती है। संक्रमित व्यक्ति के खून-लार से भी जीका वायरस फैल सकता है।
किसी होता है ज्यादा खतरा
गर्भवती महिला को यह संक्रमण होने पर गर्भस्थ को ज्यादा खतरा रहता है।क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे को भी जीका बुखार हो सकता है। जिसकी वजह से बच्चे के सिर का विकास रूक सकता है। जीका वायरस की चपेट में आए बच्चे का सिर जन्म के समय सामान्य से छोटा हाेता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति को दिमाग व लिवर संबंधित दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। बड़ों को गुलियन बेरी सिंड्रोम अाैर बच्चाें को ऑटिज़्म, सुनने में दिक्कत और जान का भी खतरा रहता है। जीका वायरस के इंफेक्शन का असर 3-6 माह तक रहता है।

वायरल जैसे जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति को हल्का बुखार रहता है। इसके साथ ही थकान, आंखों का लाल होना और जोड़ों में दर्द मरीज को सिरदर्द होना और शरीर पर लाल चकत्ते निकलते हैं ।
जीका वायरस का इलाज
जीका वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है, कोई दवा भी नहीं है, इसमें लक्षणों के आधार पर इलाज होता हैं। बुखार और दर्द से आराम देने के लिए मरीज को पैरासिटामॉल देते हैं। जीका वायरस की पहचान के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट होता है।
ऐसे करें जीका वायरस से बचाव
– जीका वायरस से बचाव के लिए मच्छरों से दूर रहना चाहिए।
– मच्छरदानी का प्रयोग करें और घर के आसपास सफाई रखें।
– घर के पास जलभाव न होने दें, कीटनाशक का छिड़काव करें ।
– सुबह-शाम मच्छर ज्यादा सक्रिय रहते हैं, पूरे कपड़े पहनें।
– संक्रमित खून से जीका होता है, मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक से रक्त लें।
– इससे संक्रमित व्यक्तियों को भी विशेष सावधानी बरतनी होती है।
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