scriptDespite spending millions of fluorosis water | करोड़ों खर्च के बावजूद फ्लोरोसिस का पानी | Patrika News

करोड़ों खर्च के बावजूद फ्लोरोसिस का पानी

locationअलीराजपुरPublished: Mar 06, 2016 03:03:51 pm

Submitted by:

kashiram jatav

दो-दो पंपों व मोटरों के स्थान पर एक-एक मोटर व पंप के रह जाने की वजह से मोटरंे पर्याप्त पानी नहीं खींच पा रही हैं, जिस वजह से बेहड़वा इनटेक से ग्राम खरपई पानी नहीं पहुंच पा रहा

आलीराजपुर. जिले के फ्लोरोसिस प्रभावित 34 गांवों को शुद्ध पानी देने के लिए बनी करोड़ों की योजना जिम्मेदारों की लापरवाही से बंद पड़ी है। इनमें से एक भी गांवों में योजना के तहत शुद्ध पानी नहीं पहुंचा है। सप्लाय स्टेशनों पर लगी मोटरे गायब हो गई हैं। जबकि विभाग द्वारा मेंटेनेंस के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च बताया जा रहा है। जिम्मेदारों का कहना है मोटर व पंप सुधरने के लिए भेज गए हैं, लेकि न कब तक सुधरेंगे। इसकी कोई जानकारी नहीं है।

ठेकेदार ले गया मोटरपंप
शासन द्वारा कुछ वर्षा पूर्व सौंडवा विकासखंड के बेहड़वा गांव में विशेष परियोजना बनाकर फ्लोरोसिस प्रभावित ग्रामों को शुद्ध जल सप्लाय प्रारंभ करने की योजना बनाई गई थी। विभाग द्वारा इस परियोजना के तहत जल वितरण करने के लिए ग्राम बेहड़वा में 500 केवी एवं खरपई में 320 केवी के विद्युत सब स्टेशन बनाए गए थे। बेहड़वा इंटकवेल पर दो मोटर व पंप लगाए गए थे जिसमें से एक मोटर व पंप खरगोन जिले का ठेकेदार सलीम गोगांवा व अन्य ठेकेदार मेंटनेंस के लिए ले गए थे। ठेकेदारो द्वारा खरपई में लगे दो मोटर व दो पंप में से एक पंप भी करीब एक वर्ष पहले निकाल ले गए थे लेकिन उन्हें आज तक वापस नहीं लगाया गया। इसी तरह बेहड़वा फिल्टर प्लांट से भी पंप गायब हैं। इन मोटर व पंपों के मेंटनेंस के लिए अधिकारियों की मिलीभगत से आज भी खरगोन जिले के ठेकेदारों के नाम से निकाली जा रही है।
सूखी पड़ी हैं टंकियां
परियोजना के तहत लगाई गई मोटरें व पंप निकाल लिए जाने की वजह से भंडारण केंद्र पर पानी ही एकत्रित नहीं हो पा रहा है। दो-दो पंपों व मोटरों के स्थान पर एक-एक मोटर व पंप के रह जाने की वजह से मोटरंे पर्याप्त पानी नहीं खींच पा रही हैं, जिस वजह से बेहड़वा इनटेक से ग्राम खरपई पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ग्राम खरपई की पानी टंकियां खाली पड़ी हैं।
फाटा डेम से पानी का नया खेल
बेहड़वा में पानी खत्म हो जाने की वजह से विभाग के अधिकारी अब चंद्रशेखर आजाद परियोजना से पानी लाकर परियोजना को देने का खेल रचने वाले हैं, जबकि हकीकत यह है कि फ्लोरोसिस प्रभावित गांवों में पानी मिल नहीं पा रहा है। ऐसे अधिकारी चंद्रशेखर आजाद परियोजना का पानी किसे देंगे। यह बात किसी की समझ में नही आ रही है। विभागीय सूत्र बताते है कि अधिकारी पुन: अपना भ्रष्ट खेल खेलने के लिए चन्द्रशेखर आजाद परियोजना से जल लाने का बहाना बनाने वाले हैं।

अधिकारियों की मिलीभगत
शासन द्वारा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की फ्लोरोसिस की समस्या से निपटने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर योजना का संचालन किया जा रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की मनमानी के चलते यह परियोजना पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। ठेकेदार अपनी मनमानी कर रहे है। जानकारों का कहना है कि शासन को इस परियोजना की पूर्ण जांच करवाना चाहिए, ताकि परियोजना से जुड़े सभी भ्रष्टाचार सामने आ सकें। विभाग के ही कुछ अधिकारियों का दावा है कि परियोजना से जुड़े प्रत्येक बिन्दुओं की जांच करवाई जाए तो कई चौकाने वाले खुलासे सामने आ सकते है। शासन के करोड़ों रुपए व्यर्थ होने तथा ग्रामीणों को पानी नहीं मिलने मुुद्दे को पत्रिका ने समय-समय पर उठाया था। कलेक्टर शेखर वर्मा के साथ ही अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को भी अवगत करवाया लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भी इस मामले में उदासीनता बरती गई। नतीजतन फ्लोराइड विभाग के अधिकारियों के हौसले बुलंद होते गए और ग्रामीण वही फ्लोरोसिस का पानी पीने को मजबूर हैं।
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