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जानिए क्या है लेटेस्ट ईलाज सायाटिका के लिए

Published: Jan 16, 2015 12:12:00 pm

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सायाटिका नर्व रीढ़ से निकलने वाली स्पाइनल नर्व से मिलकर बनती है। यह पैर की मांसपेशियों को कंट्रोल करती है और पैरों में दर्द, छूना, तापमान, कंपन संबंधी सूचना स्पाइनल कॉर्ड तक पहुंचाती है। …

जयपुर। सायाटिका नर्व रीढ़ से निकलने वाली स्पाइनल नर्व से मिलकर बनती है। यह पैर की मांसपेशियों को कंट्रोल करती है और पैरों में दर्द, छूना, तापमान, कंपन संबंधी सूचना स्पाइनल कॉर्ड तक पहुंचाती है।

इससे जुड़ने वाली स्पाइनल नर्व पर किसी प्रकार का दबाव आता है तो इससे कमर में दर्द होता है जो कि पैर में करंट की तरह महसूस होता है इसे आम बोलचाल में साइटिका कहते हैं। इसमे रोगी को पैर से लेकर कमर तक तेज दर्द होता है।

इस रोग के मुख्य लक्षण इस प्रकार है। इसमें कमर मे दर्द रहना, एक पैर में सुन्नपन रहना, पंजे में कमजोरी आना, एक पैर में पंजे तक दर्द जाना, पेशाब करने में तकलीफ होना जैसी परेशानिया होती है।

अगर सायाटिका का कारण स्लिप डिस्क है तो इसका इलाज माइक्रोलम्बर डिसकेक्टमी से होता है। इस तकनीक में मात्र एक या डेढ़ इंच का चीरा कमर में लगाया जाता है और जो नस दबी होती है केवल उसी के आस-पास की मामूली हaी और डिस्क को माइक्रोस्कोप की मदद से हटाया जाता है।

इससे रीढ़ की हaी की बनावट में कुछ बदलाव नहीं आता और मरीज को ऑपरेशन के बाद दर्द से छुटकारा मिल जाता है। इससे पहले बडे चीरेे से ऑपरेशन किया जाता था और अधिक मात्रा में हaी व डिस्क निकाली जाती थी जिससे रीढ़ में विकार आने की आशंका रहती थी।

ऎसे व्यक्ति जिन्हें कमर और पैर में दर्द रहते हुए छह सप्ताह से अधिक हो गए हों तथा जिन्हें आराम व दर्द निवारक दवाओं से विशेष आराम नहीं आया हो, माइक्रोलम्बर डिसकेक्टमी से इलाज करा सकते हंै। ये आजकल की लेटेस्ट तकनीक है जो आसानी से इस रोग से छुटकारा दिला सकती है।

एक्सपर्ट के अनुसार माइक्रोलम्बर डिसकेक्टमी के लिए उपयुक्त वह डिस्क होती है जो कि बीचों-बीच न होकर एक किनारे पर हो। ऎसे रोगी का ऑपरेशन करना आसान रहता है और किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।

इस रोग के प्रमुख कारण इस प्रकार है-
-स्लिप डिस्क के कारण दबाव।
-स्पाइनल कैनाल का सिकुड़ना।
-रीढ़ की हaी में वर्टिब्रा का एक दूसरे पर खिसकना।

ऎसी कोई भी परेशानी होने पर किसी अच्छे डॉक्टर से ही ईलाज कराना चाहिए।
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