10 वर्षों से थी गांठ श्रीगंगानगर के रहने वाले मंजीत ने बताया कि लगभग 10 वर्षों से दांये पैर की जांघ पर ऊभरती हुई गांठ से पीड़ित थे। वर्ष 2013 तक यह गांठ ज्यादा तकलीफ दायक नहीं थी इसलिए चलने फिरने में कोई परेशानी नहीं हुई।
2013 में यह गांठ अप्रत्याषित रूप से बढ़ने पर लुधियाना के अस्पताल में आॅपरेशन करवाया। आॅपरेशन के कुछ महिनों बाद ही गांठ वापस बनने लगी एवं चलने-फिरने में तकलीफ होने लगी। कुछ ही दिनों में ये गांठ इतनी बढ गई की चलना तो दूर उठना-बैठना भी बहुत मुश्किल हो गया। स्थानीय चिकित्सकों से परामर्श करने पर उन्होंने पैर काटने की सलाह दी।
पैर काटने की आ गई थी नौबत लार्ज साॅफ्ट टिषु सारकोमा विद न्यूरो वसकूलर इंवाल्वमेन्ट बीमारी से पीड़ित मंजीत का बीमारी की वजह से जांघ के ऊपर से पैर काटने की नौबत आ गई थी। पैर में खून का प्रवाह बेहद कम हो गया। रक्त कोषिकाएं गांठ की वजह से पैर के नीचे हिस्से में रक्त प्रवाह ही नहीं कर पा रही थी।
जयपुर में हुए ऑपरेशन में डॉक्टर्स ने ना केवल वर्षों पुरानी गांठ और दर्द से निजात दिलवाई बल्कि दूसरे पैर से रक्त कोषिकाएं लेकर खून का प्रवाह भी सुनिश्चित किया।
9 किलो की निकाली गांठ भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय के डाॅ. प्रवीण गुप्ता ने यह जटिल आॅपरेशन कर 9 किलोग्राम वजनी गांठ निकाली एवं दूसरे पैर की खून की नसे लेकर इस पैर की नसों को सही कर जोड़ा गया। यह अपनी तरह का अनूठा आॅपरेशन रहा।