संबित पात्रा ने कहा कि चार ऐसे तथ्य हैं, जिसके आधार पर हमें पता चलता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का भारत में कोरोना से हुई मौतों का डेटा गलत है। पहला यह कि इस आंकड़े के लिए पूरी प्रक्रिया में डब्ल्यूएचओ ने जिस प्रकार के तरीकों को अपनाया है, वही गलत है। दूसरा, डेटा के स्रोत में एक्यूरेसी होनी चाहिए, जबकि डब्ल्यूएचओ ने स्वयं माना है कि स्रोत वैरिफाइड नहीं हैं। तीसरा, किस मानदंड के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को टियर-2 देश में रखा है, ये भी सटीक रूप से पता नहीं चलता। चौथा यह कि डब्ल्यूएचओ ने काल्पनिक तरीके से डेटा का विश्लेषण किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में कोविड से होने वाली मौतों का जो आंकड़ा पेश किया है, वह भारत के आधिकारिक आंकड़ों से करीब 10 गुना ज़्यादा है। पात्रा ने कहा कि भारत में पहले से ही जन्म-मृत्यु के आंकड़े दर्ज करने का व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीका है। साथ ही, जब पहले से ही भारत के पास कोरोना से हुईं मौतों का आंकड़ा मौजूद है, ऐसी स्थिति में उस मॉडल को तवज्जो नहीं दी जा सकती जहां पर सिर्फ अनुमान के मुताबिक आंकड़े जारी किए गए हों।