script

‘रक्तदान’ जरूरतमंद को जीवनदान

Published: Jul 12, 2018 05:11:37 am

हाल ही एचआईवी वायरस से संक्रमित रक्त चढ़ाने वालों की सूची में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, नई दिल्ली राज्यों का नाम प्रमुख रूप से…

Blood donation

Blood donation

हाल ही एचआईवी वायरस से संक्रमित रक्त चढ़ाने वालों की सूची में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, नई दिल्ली राज्यों का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है। यहां रक्तदान के दौरान बरती गई लापरवाही के चलते स्वस्थ व्यक्ति में एचआईवी संक्रमण का खतरा पैदा हो गया है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) के अनुसार अस्पताल के अलावा रक्त देने वाले और लेने वाले को अपने स्तर पर पूरी जानकारी जरूरी है ताकि रोगों से बचाव किया जा सके। जानते हैं रक्तदान से जुड़ी अहम बातें-

इसलिए जरूरी है रक्तदान

आपातकालीन स्थितियों के अलावा कई रोगों में भी इसकी जरूरत होती है। जैसे सडक़ हादसे, कैंसर रोग, प्रेग्नेंसी के दौरान, पोस्ट पार्टम हेमरेज, हृदय, स्नायुतंत्र, गेस्ट्रो इंटेस्टाइन से जुड़ी सर्जरी, रक्त विकार (हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, एनीमिया, ब्लीडिंग डिसऑर्डर आदि) और मौसम में बदलाव से होने वाले वायरल रोगों में भी शरीर में रक्त की आपूर्ति करनी पड़ती है।

दो तरह के डोनर :

रिप्लेसमेंट डोनर: जरूरत पडऩे पर परिजन या जानकार से रक्त लेना और चढ़ाना।
वॉलेंटरी डोनर: किसी भी आयोजन, पंजीकृत ब्लड बैंक या रक्तदान शिविरों में खुद की इच्छा से रक्तदान करना।

स्टोरेज : मानक तापमान में बदलाव से घटता प्रभाव

ब्लड डोनेशन के बाद ४-६ घंटे के अंदर इसके कॉम्पोनेंट को अलग-अलग कर लेना अनिवार्य होता है। रक्त में मौजूद हर कॉम्पोनेंट का जीवनकाल, स्टोर होने का तापमान और मरीज में इसकी जरूरत अलग होती है इसलिए यहां इन्हें अलग-अलग कर स्टोर करते हैं। इनमें से सफेद रक्त कणिकाओं को स्टोर करने की इतनी जरूरत नहीं पड़ती।


आरबीसी : २-६ डिग्री तापमान पर स्टोर करने पर इसका इस्तेमाल ३५-४२ दिनों के अंदर कर सकते हैं।
प्लेटलेट : २२-२४ डिग्री के तापमान पर इसे एजिटेटर मशीन में रखा जाए तो ५-७ दिनों तक प्रिजर्व कर सकते हैं।
फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (एफएफपी): (-२०) डिग्री टेंपरेचर पर डीप फ्रीज करें तो एक साल तक प्रिजर्व कर सकते हैं।
नोट: इनके स्टोरेज में लापरवाही बरती जाए तो इनका प्रभाव कम होने लगता है।

रक्तदान से जुड़े 5 भ्रम और सच

भ्रम : दूसरे का रक्तचढ़वाने से उसकी बीमारी भी रक्त लेने वाले में आ जाती है।
सच : ऐसा तब ही होता है जब रक्त की जांच पूरी तरह से न की गई हो या डोनर द्वारा खुद से जुड़े रोगों की पूरी जानकारी उपलब्ध न कराई गई हो।


भ्रम : रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आने लगती है।
सच : रक्तदान के दौरान शरीर से थोड़ी मात्रा में रक्त निकालते हैं। इस कारण मरीज को कुछ सेकेंड के लिए चक्कर आ सकता है लेकिन कमजोरी नहीं होती।

भ्रम : कोई दवा ले रहे हैं तो रक्तदान न करें।
सच : दाता किसी संक्रामक या गंभीर रोग से पीडि़त है तो वह रक्तदान नहीं कर सकता है। इसके अलावा मरीज के फिजिशियन इस बात की पुष्टि करते हैं कि वे रक्तदान करने योग्य हैं या नहीं।

भ्रम : नियमित ब्लड डोनेशन से ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर के स्तर में फर्क होने लगता है।
सच : ऐसा बिल्कुल नहीं होता। लेकिन हाई बीपी और डायबिटीज के मरीज अपने फिजिशियन की सलाह के बाद ही रक्तदान का निर्णय लें।

भ्रम : रक्तदान में बहुत दर्द होता है।


सच : नहीं, रक्तदान की प्रक्रिया में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है। केवल रक्तनिकालने के लिए सुई को लगाते समय ही दाता को मामूली सा दर्द महसूस होता है।

ट्रेंडिंग वीडियो