script6 माह तक ब्रेस्ट फीडिंग कराने से शिशु में घटती रोगों की आशंका | Breast feeding reduces the risk of diseases in the baby | Patrika News

6 माह तक ब्रेस्ट फीडिंग कराने से शिशु में घटती रोगों की आशंका

Published: Oct 02, 2017 07:10:01 pm

शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए सबसे अहम मां का दूध है। जिसके साथ समय-समय पर कुछ और चीजें भी दी जा सकती हैं।

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शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए सबसे अहम मां का दूध है। जिसके साथ समय-समय पर कुछ और चीजें भी दी जा सकती हैं।

अक्सर सुनने में आता है कि तंदुरुस्त बच्चा देश का भविष्य होता है। लेकिन ऐसा तभी संभव है जब उसकी देखभाल, लालन-पोषण व परवरिश गर्भावस्था के पहले दिन से शुरू हो जाए। इसी के चलते स्वास्थ्य मंत्रालय हर साल नेशनल न्यूट्रिशन वीक मनाता है। इस वर्ष की थीम ‘नवजात और बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो आहार’ रखी गई है। शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए सबसे अहम मां का दूध है। जिसके साथ समय-समय पर कुछ और चीजें भी दी जा सकती हैं।

जन्म के बाद छह माह तक ब्रेस्टफीडिंग कराने से एलर्जी, मधुमेह, निमोनिया, संंक्रमण, कमजोर इम्युनिटी व सांस संबंधी तकलीफों की आशंका कम होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 6 माह की उम्र के बाद शिशु को 2-3 बार दूध के साथ बताई गई चीजें दे सकते हैं। 06 माह तक जन्म के बाद शिशु को केवल बे्रस्टमिल्क ही देना चाहिए। 2-3 बार दूध के साथ उसे दाल का पानी, दलिया, खिचड़ी आदि दे सकते हैं। ऐसा ६ माह बाद ही करें।
इसलिए जरूरी मां का दूध
मां का दूध शिशु के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसमें मौजूद कोशिकाओं को बच्चे के अहम अंग आसानी से अवशोषित कर लेते हैं जिससे अंगों को ताकत मिलती है। यह उसके शरीर में विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन, फैट और एंटीबॉडीज जैसे जरूरी तत्त्वों की पूर्ति कर दिमाग और अन्य प्रमुख अंगों को पोषण देता है। इससे बचपन से ही उसके सोचने और समझने की क्षमता मजबूत होने लगती है। ब्रेस्टमिल्क शिशु को कई तरह से सेहतमंद रखता है।
अन्य चीजें भी दे सकते
समय से पूर्व यदि प्रसव हो जाए या किसी अन्य वजह से बच्चा कमजोर रह जाए तो उसकी डाइट में अन्य चीजों को भी दूध के साथ दे सकते हैं। दूध के अलावा जब उसे कुछ और देना शुरू करते हैं तो इस स्थिति को कॉम्प्लीमेंट्री फीडिंग कहते हैं। इसके लिए आप दूध के साथ-साथ गाय का दूध, दाल का पानी, चावल का मांड, खीर, खिचड़ी, दलिया, सूजी लप्टा, आटा लप्टा, केले का शेक आदि खिला या पिला सकते हैं।
न बरतें लापरवाही
गर्भावस्था के दौरान जो कुछ भी महिला खाती है उससे गर्भस्थ शिशु को भी पोषण मिलता है। इसलिए महिला को आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम युक्त चीजों को भोजन में शामिल करना चाहिए।

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