ये विकल्प आजमाएं
चावल की जगह धान, आलू की जगह जमीकंद या रतालू, रेगुलर पास्ता व ब्रेड की एवज में गेहूं से बना पास्ता व ब्रेड खाएं। कॉर्नफ्लेक्स नहीं बल्कि धान का ब्रानफ्लेक्स खाएं। मक्का के बदले मटर लें।
व्यायाम
1. रोजाना कम से कम एक घंटे एक्सरसाइज
2. सुबह-शाम 20 मिनट वॉकिंग
3. 10-15 मिनट योगा
4. 15-20 मिनट स्वीमिंग
5. 10-15 मिनट साइक्लिंग
रखें ध्यान
1. शरीर में फैट बढऩे से रोकें, लंबाई और वजन में संतुलन बनाएं। (5 फीट लंबे पुरुष का वजन 60 व महिला का 50 किलो होना चाहिए)
2. पैरों की खास देखभाल करें, हमेशा जूते या चप्पल पहनें, बारिश के मौसम में पैरों को नमी से बचाएं, धूप में नंगे पांव न जाएं।
भरपूर खाएं-पीएं
दूध, अनार, पपीता, सेब, नाशपाती, अमरूद, पत्तेदार व फलीदार सब्जियां, टमाटर और मोटे अनाज।
इनसे रहें दूर
चीनी, मिठाई, जैम, केक, आइसक्रीम, पेस्ट्री, बिस्किट, सॉफ्टड्रिंक, मिल्क शेक , बटर, घी व जंक फूड।
इनकी रखें सीमित मात्रा
नमक, अंडे, चिकन, मटन, अल्कोहल, चाय, कॉफी, पास्ता, नारियल व इसके उत्पाद कम खाएं।
11 दिन में 11 की शुगर कंट्रोल
ब्रिटेन की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक रॉय टेलर के कम कैलोरी डाइट चार्ट से नियंत्रित खानपान अपनाकर 11 दिन में 11 रोगियों में डायबिटीज को कंट्रोल किया गया।
डाइट चार्ट
1. प्रतिदिन 2500 कैलोरी के बजाय 800 कैलोरी आहार
2. रोजाना 3 लीटर पानी
3. खाने में केवल शेक, सूप (600 कैलोरी) और हरी सब्जियां (200 कैलोरी)
ऐसे मिली मुक्ति
कम कैलोरी वाले डाइट प्लान में ८ हफ्ते में लीवर व आमाशय (पेंक्रियाज) के उपर जमी चर्बी घट जाती है। इससे इंसुलिन बनने लगता है जो ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य करता है।
चिप रखेगी ग्लूकोज पर नजर
डायबिटीज निगरानी का एक तरीका चिप है। माइक्रोचिप ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा का पता लगाकर ये सूचना एक वायरलेस स्कैन पर भेज देती है, जिसे मरीज पढ़ सकता है। यह बुनियादी तरीकों में से एक है। टाइप 1 डायबिटीज के मामलों में हालात संभालने के लिए इंसुलिन जरूरी होता हैं।
क्या है इंसुलिन पंप थेरेपी
इंसुलिन पंप को बेल्ट के ऊपर पहना जाता है। यह पेनक्रियाज की तरह इंसुलिन छोडऩे में सक्षम है। 2 से 3 दिन बाद दोबारा इंसुलिन भरना पड़ता है।