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स्वास्थ्य

बच्चों में पेट और मूत्र पथ के संक्रमण के मामले बढ़े

कड़ी धूप व गर्म हवा के कारण Children के शरीर में पानी और नमक (water and salt) की कमी हो जाने की वजह से कमजोरी, डिहाइड्रेशन व चक्कर आने की समस्या आम हो गई है। दूषित भोजन या पानी के कारण बच्चे पेट से संबंधित संक्रमण के शिकार हो रहे हैं

बैंगलोरApr 28, 2024 / 06:07 pm

Nikhil Kumar

एंटीबायोटिक्स नहीं प्रोबायोटिक्स पर हो जोर

  • निखिल कुमार
सामान्य से अधिक तापमान होने के कारण Bengaluru के अस्पतालों में निर्जलीकरण (dehydration) के मामलों में वृद्धि हुई है। बच्चों में गर्मी से संबंधित विकार, विशेष रूप से पेट में संक्रमण और urinary tract infection (यूटीआइ) के मामले भी कई गुना बढ़े हैं। बच्चों को गर्मी के कारण होने वाली थकावट, निर्जलीकरण, हीट स्ट्रोक और सन बर्न (Heat exhaustion, dehydration, heat stroke and sunburn) से बचाए रखना महत्वपूर्ण है।
कपड़ों की कई परतों में नहीं लपेटें

चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों को पीने का पानी उपलब्ध होना चाहिए। छोटे शिशु लंबे समय तक बाहर की तेज धूप बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। छोटे शिशु जो अभी भी स्तनपान कर रहे हैं, उन्हें कपड़ों की कई परतों में नहीं लपेटना चाहिए।
बुखार, उल्टी और दस्त

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुप्रजा चन्द्रशेखर ने बताया कि कड़ी धूप व गर्म हवा के कारण Children के शरीर में पानी और नमक (water and salt) की कमी हो जाने की वजह से कमजोरी, डिहाइड्रेशन व चक्कर आने की समस्या आम हो गई है। दूषित भोजन या पानी के कारण बच्चे पेट से संबंधित संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। साथ ही stomach pain, एक या दो दिन तक fever, उल्टी और उसके बाद Diarrhoea भी परेशान कर रहा है।
मूत्राशय की सफाई नहीं हो पाती

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार बी. एम. के अनुसार यूटीआइ के कारण अस्पताल पहुंचने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आमतौर पर गर्मियों में यूटीआइ के अधिक मामले देखे जाते हैं, लेकिन इस बार भीषण गर्मी के कारण स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। शरीर में पानी की कमी के कारण पेशाब करने की इच्छा नहीं होती है। Urinary bladder की सफाई नहीं हो पाती है। इसके कारण Bacteria को पनपने का मौका मिलता है। बैक्टीरिया जितने लंबे समय तक रहेगा, संक्रमण की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
नमक, चीनी और पानी की मात्रा संतुलित हो

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सोमशेखर ने कहा, पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर ज्यादातर स्वास्थ्य समस्याओं से निपटा जा सकता है। आमतौर पर विशेष दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है। हम अक्सर बच्चों को एंटीबायोटिक्स की जगह probiotics देते हैं। बच्चों को ऐसे तरल पदार्थ देना महत्वपूर्ण है जिनमें नमक, चीनी और पानी की मात्रा संतुलित हो।
– बच्चे को नारियल पानी, ओआरएस, चावल दलिया आदि जैसे तरल पदार्थों से हाइड्रेट करें।

– एंटीबायोटिक (Antibiotic) दवाओं के प्रयोग से बचें।

-स्वस्थ और स्वच्छ भोजन, साफ पानी, फल और जूस दें।
-त्वचा व सिर को टोपी और छाते जैसी साधारण चीजों से सुरक्षित रखें, सनस्क्रीन का उपयोग कर सकते हैं।

– बच्चों की बाहरी गतिविधियां सुबह 10 बजे से पहले और दोपहर 3 या 4 बजे के बाद तक सीमित रहें। बाहर खेलते समय, उन्हें ढीले ढाले सफेद सूती कपड़े पहनाएं।
– एयर कंडीशनर से निकलने के तुरंत बाद बच्चों को धूप में नहीं जाने दें।

– कार से उतरने के 5-10 मिनट पहले एयर कंडीशनर बंद कर दें।

-खाली पेट घर से बाहर नहीं निकालें।
-बच्चों को फ्रिज में रखा खाना बार-बार गरम करके देने से बचें।

-दही से कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं हो तो ज्यादा से ज्यादा दही दें।

– ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, आम, खीरा व अंगूर जैसे मौसमी फल खाने पर जोर दें।

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