इलाज का आधार ऐसे मामलों में मां पर हुए मानसिक आघात और बच्चे की प्रवृत्ति व प्रकृति जानकर दवा का चुनाव किया जाए तो बेहतर परिणाम सामने आते हैं। इसके अलावा इलाज से पहले कुछ खास बातों को पूछा जाता है। जैसे अधिक सोनोग्राफी की वजह से रोग होने, बच्चे को किसी तरह की फिजिकल इंजरी, प्रेग्नेंसी के दौरान मां के मन में डर बैठा होना या किसी तरह का मानसिक आघात, गर्भधारण के पहले या बाद में हुई दिक्कत आदि कारणों का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही दवाएं तय की जाती हैं।
मानसिक आघात है खतरनाक प्रेग्नेंसी के दौरान मां को मानसिक आघात से दूर रहना चाहिए। क्योंकि इस दौरान शिशु का शारीरिक शरीर विकास हो रहा होता है और उसके जींस पर असर पड़ता है। कई बार जन्म के बाद बच्चा रोता नहीं है। ऐसे में उसके मस्तिष्क में ऑक्सीजन नहीं पहुंचती और मस्तिष्काघात की आशंका रहती है। इससे बच्चे को सुनने, देखने में समस्या की शिकायत हो सकती है। गर्भवती को अधिक सोनोग्राफी, एक्सरे, दवाइयों से बचना चाहिए। खुश रहने की कोशिश करें। इसके लिए खुद को ऐसे कार्यों में व्यस्त रखें जो आपको सुकून देते हों।
जैसा डॉ. टी.पी.यादव ने डॉ. अरुणा व्यास को बताया