प्रॉक्टोस्कोपी, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई आदि के माध्यम से रोग की स्थिति पता करते हैं। मुख्य रूप से एमआरडी (मैग्नेटिक रिसोनेंस डिटेक्टर) को अपनाते हैं। इसमें परेशानी वाले हिस्से की वीडियो बनाते हैं व स्टडी कर इलाज तय करते हैं।
दिनचर्या व खानपान में बदलाव
रोग की गंभीरता और स्थिति के आधार पर दवाएं देते हैं और दिनचर्या व खानपान में बदलाव किया जाता है। एडवांस्ड स्टेज में स्ट्रक्चरल डिफैक्ट्स को देखकर सर्जरी करते हैं। प्रमुख रूप से स्टेपल्ड ट्रांसेनल रेक्टल रिसेक्शन (स्टार) करते हैं। दिनचर्या में योग और एक्सरसाइज को कम से कम 20 मिनट जरूर करें। वहीं महिलाओं को पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करनी चाहिए।