scriptआयुर्वेद के देसी फार्मूले खंगालकर नई दवाएं बनाएगा सीएसआइआर | CSIR will make new medicines for Ayurveda's domestic formula | Patrika News

आयुर्वेद के देसी फार्मूले खंगालकर नई दवाएं बनाएगा सीएसआइआर

Published: May 03, 2019 12:43:28 pm

Submitted by:

Dheeraj Kanojia

भारतीय पद्धतियों से वैज्ञानिक अनुसंधान कर दवाएं विकसित करने का बड़ा कार्यक्रम
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और आयुष विभाग के बीच हुआ समझौता

Aaurved

आयुर्वेद के देसी फार्मूले खंगालकर नई दवाएं बनाएगा सीएसआइआर

नई दिल्ली। वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) अपनी तीन दर्जन प्रयोगशालाओं के जरिये आयुर्वेद के फार्मूलों से नई दवाएं खोजने के एक बड़े कार्यक्रम की शुरूआत करने जा रहा है। इसके तहत सीएसआइआर और आयुष विभाग के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। दोनों ने उम्मीद जताई है कि इससे आने वाले समय में देश में लाइलाज बीमारियों की नई दवाओं की खोज का रास्ता साफ होगा।

सीएसआइआर के अनुसार आयुर्वेद के फार्मूलों पर उसकी प्रयोगशालाओं ने पहले भी काम किया है। सीमैप और एनबीआरआई ने बीजीआर-34 जैसी मधुमेहरोधी दवा विकसित की है जो बाजार में अपनी पहचान बना चुकी है। यह दवा कई आधुनिक वैज्ञानिक परीक्षणों को पूरा कर तैयार की गयी और मधुमेह को नियंत्रित करने में लाभकारी साबित हुई है। अब इस कार्यक्रम में ऐसी कई और नई दवाएं विकसित करने पर जोर होगा।

सीएसआइआर के महानिदेशक डा. शेखर सी. मांडे और आयुष विभाग के सचिव डा. राजेश कोटेचा के हस्ताक्षरों से हुए समझौते में दो शोध कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। पहला है- ‘ट्रडिशनल नॉलेज इंस्पायर्ड ड्रग डिस्कवरी’ यानी परंपरागत चिकित्सा ज्ञान से नई दवाओं की खोज। दूसरा है- ‘फूड ऐज मेडिसिन’, यानी कुछ ऐसे परंपरागत फार्मूलों को खाद्य पदार्थ के रूप में पेश किया जाए जिनसे बीमारियों से बचाव हो सके।

सीएसआइआर ने पूर्व में आयुर्वेद से जुड़े कई अहम अध्ययन किए हैं। इनमें एक अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि मनुष्य की जेनेटिक संरचना की प्रकृति अलग-अलग होती है। इसे आयुर्वेद के वात, कफ और पित्त प्रकृति के अनुरूप पाया गया है। यानी तीनों प्रकृतियों की जेनेटिक संरचना के लोगों के लिए अलग-अलग दवाएं होनी चाहिए। इस शोध में प्रकृति के आधार पर भी दवाएं विकसित करने की दिशा में कार्य किया जाएगा।

सीएसआइआर और आयुष विभाग इससे पहले साथ मिल कर ‘ट्रडिशनल नालेज डिजिटल लाइब्रेरी’ (टीकेडीएल) विकसित कर चुके हैं, जिसमें आयुर्वेद के सभी फार्मूलों को एकत्रित कर पेटेंट कार्यालयों को उपलब्ध करवाया गया है ताकि कोई व्यावसायिक लाभ के लिए इसका पेटेंट हासिल नहीं कर सके। टीकेडीएल के अस्तित्व में आने के बाद आयुर्वेद के नुस्खों पर विदेशों में होने वाले पेटेंट पर रोक लग गई। अब इन्हीं फार्मूलों को खंगालकर सीएसआईआर नई दवा विकसित करेगा।

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