scriptबच्चों को बोलने में दिक्कत आनुवांशिक भी हो सकती है | Difficulty speaking to children may also be genetic | Patrika News

बच्चों को बोलने में दिक्कत आनुवांशिक भी हो सकती है

Published: Oct 03, 2017 07:07:16 pm

यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक प्रकार की समस्या है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है।

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यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक प्रकार की समस्या है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है।

तुतलाना-हकलाना व्यक्तिगत के साथ सामाजिक समस्या भी है। यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक प्रकार की समस्या है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। इससे पीडि़त व्यक्ति का आत्मविश्वास कम होता है जिस कारण वह समाज से अलग रहने लगता है। यह परेशानी बच्चों में ज्यादा पाई जाती है। कुछ ही मामले बड़ों के होते हैं।

समझें तुतलाने – हकलाने में अंतर और लक्षण
तुतलाने में शब्दों या अक्षर का सही उच्चारण नहीं हो पाता है। व्यक्ति साफ नहीं बोल पाता। जैसे ‘र’ को ‘ड़’ या ‘ल’, ‘क’ को ‘त’ बोलता है। वहीं हकलाते समय वह रुक-रुक कर या एक ही शब्द को बार-बार बोलता है। इसका मरीज मानसिक रूप से दबाव महसूस करता हुआ जल्दी-जल्दी बोलता है। बोलते समय आंखें भींचता है व उसके होंठ बोलते समय कांपते और जबड़े हिलते हैं।

टोकना छोड़ें
जल्दी-जल्दी बोलने के बजाय आराम से और धीरे-धीरे शब्दों को बोलने की आदत डालें। किताब या अखबार बोलकर पढ़ें। अपने ही शब्दों पर ध्यान दें। शीशे के सामने खड़े होकर बोलें, इससे आत्मविश्वास बढ़ता है।
अभिभावक बच्चे पर किसी प्रकार का मानसिक दबाव न डालें। साथ ही उसे बार-बार टोके नहीं जैसे ऐसे बोलो, यह बोलो, इस तरह उच्चारण करो आदि।
प्रमुख कारण
तुतलाना : जीभ का निचला भाग ज्यादा चिपका होना या जीभ मोटी होना। तालू का कटा होना,न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम जैसे सेरेब्रल पाल्सी भी वजह है। यह समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है।
हकलाना : ज्यादातर मामलों में जिनपर किसी बात का दबाव या किसी विषय को लेकर तनाव की स्थिति से डर पैदा हो गया हो या मनोस्थिति बिगड़ गई हो उनमें यह समस्या देखी जाती है।

5 साल तक तुतलाना सामान्य : जन्म के बाद 5 साल तक बच्चे अपने आसपास के माहौल से भाषा को समझकर व शब्दों को पकड़कर बोलना सीखते हैं। शुरुआत में शब्द साफ नहीं होते लेकिन इनके अभ्यास से वे शब्दों से वाक्य बनाना सीखते हैं। यदि 5 साल के बाद भी वह तुतलाकर बोले तो स्पीच थैरेपिस्ट या ईएनटी विशेषज्ञ को दिखाएं। कारण मुंह या इसके अंगों की बनावट में खराबी हो सकती है।
02 माह में नियमित शब्दों के सही उच्चारण से तुतलाने की दिक्कत में सुधार होने लगता है।

एलोपैथी : जीभ की बनावट में कोई गड़बड़ी या होठ कटा है तो सर्जरी करते हैं। स्पीच थैरेपी में काउंसलिंग कर आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। सही उच्चारण के साथ बोलते समय सांस लेना सिखाते हैं। तुतलाने की समस्या दो माह व हकलाना 1-2 हफ्तों में ठीक हो जाता है।
आयुर्वेद : ब्राह्मीघृत, पंचद्रव्यघृत, शंखपुष्पी का चूर्ण, बोलने की क्षमता बढ़ाने के लिए मीठी वचा देते हैं। दूध के साथ बादाम व अखरोट रोजाना खाएं।
फायदेमंद योग : सिंहासन के अलावा, रोजाना 5-7 मिनट अनुलोम-विलोम कराते हैं। ओम के उच्चारण के साथ भ्रामरी, नाड़ीशोधन कराते हैं।
ये करें : बच्चे को जीभ ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं, बाहर-अंदर और हवा मुंह में भरने व छोडऩे, होठों को फैलाने व सिकोडऩे का अभ्यास कराएं।

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