लोग पूछते हैं कि अधिकतर डॉक्टर रात में 8 घंटे की नींद को जरूरी क्यों बताते हैं? दरअसल होता यह है कि जब आप सोते हैं तो उससे दिमाग को शांति मिलती है। दिनभर में आपने जो कुछ भी सोचा या योजना बनाई तो आखिर में वे सारे कमांड पहुंचे तो आपके मस्तिष्क में ही। उन्हें व्यवस्थित करने में दिमाग की ऊर्जा खर्च हुई और वह भी थकान महसूस करने लगा होगा। रात में 8 घंटे की नींद से दिमाग को भी रिकवरी में मदद मिलती है। दिमाग की कोशिकाओं को नई ऊर्जा मिलती है। इसके लिए शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक का भी ध्यान रखें यानी यदि आप रोज रात दस बजे सोते हैं और सुबह छह बजे उठते हैं तो हर दिन इसी समय सोने व जागने की कोशिश करें। ऐसा नहीं हो कि सर्दी में आलस्य करके एक घंटे लेट उठें। कभी-कभी किसी इमरजेंसी या परिस्थितिवश समय पर सोना-उठना न हो तो नींद की कमी को दिन में थोड़ा सुस्ताकर पूरा किया जा सकता है।
खानपान का समय रात की पारी में काम करने वालों के लिए तय करना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन हमारी बॉडी क्लॉक इसे भी एडजस्ट कर लेती है। यदि सुबह आठ बजे आपकी शिफ्ट खत्म हुई है तो 10 बजे तक अपने रुटीन के काम निपटाकर दोपहर 2 बजे तक सो सकते हैं। यदि थकान या अधूरी नींद लगे तो बाद में दो घंटे और सो सकते हैं। भोजन के समय का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बॉडी क्लॉक इसी हिसाब से काम करती है। यदि रोजाना नाश्ता, लंच व डिनर एक निर्धारित समय पर करेंगे तो भूख भी उसी अनुसार अच्छे से लगेगी। नाश्ता हैवी करें ताकि दिनभर काम करने के लिए पूरी ऊर्जा मिल सके। लंच दोपहर 2 बजे से पहले कर लेना चाहिए। डिनर यदि शाम को कर लेंगे तो इससे पाचन शक्ति दुरुस्त रहेगी। सोने व रात के खाने में तीन से चार घंटे का अंतर होना जरूरी है। डाइट संतुलित होनी चाहिए। ऐसा न हो कि सिर्फ प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट्स ही ज्यादा ले लिए। पेय पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में लें। इसके साथ ही नियमित रूप से एक्सरसाइज के लिए भी समय निकालें। लगभग 45 मिनट की डेली एक्सरसाइज जरूर करें।
8 घंटे की नींद, 8 घंटे खानपान, एक्सरसाइज व अन्य रुटीन के कार्यों में देने के बाद अब जो 8 घंटे आपके पास बचे हैं उन्हें क्वालिटी टाइम के रूप में बिताएं। सबसे पहले अपने परिवार के साथ समय बिताने की आदत डालें। दोस्तों से मिलें। सामाजिक कार्यों में सक्रियता बढ़ाएं।प्रकृति के पास जाने का भी टाइम निकालें। लिखने, पढऩे, ड्राइंग या सिंगिंग, खेलने जैसी कोई हॉबी है तो उसे पूरा करें। इन सबसे आपके काम का तनाव होगा व शरीर में सकारात्मकता लाने वाले हार्मोंस ज्यादा बनेंगे व रिलीज होंगे। इससे शरीर रिलेक्स महसूस करेगा। इन सबके साथ खुद के लिए 15 मिनट जरूर निकालें। कहीं एकांत में बैठकर अपने बारे में विचार करें। मैंने आज क्या-क्या किया, मैं आज किसी के लिए मददगार साबित हो सका या नहीं, इनसे भी आपके अंदर की खुशी का स्तर बढ़ेगा।
(एक्सपर्ट: डॉ. विनय सोनी, फैमिली फिजिशियन)