स्वास्थ्य

कोरोना अलर्ट: क्या शरीर का तापमान चेक करने से कोरोना को रोका जा सकता है?

स्कूल-कॉलेज खुलने से बच्चों का तापमान बार-बार जांचना अब सामान्य रुटीन बन गया है

जयपुरSep 22, 2020 / 02:21 pm

Mohmad Imran

कोरोना अलर्ट: क्या शरीर का तापमान चेक करने से कोरोना को रोका जा सकता है?

कोरोना महामारी के दौरान मास्क, सैनिटाइजर, सोशल डिस्टैसिंग के बीच एक और चीज जो बहुज कॉमन है वह है प्रवेश के दौरान अपका टेम्प्रेचर जांचने का रुटीन। हवाई अड्डों, रेस्तरां, शॉपिंग स्टोर ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, संस्थान, दुकान, मार्केट और ऐसी ही दूसरी सार्वजनिक जगहों पर यह बेहद आम है। लेकिन क्या इस तरह शरीर का तापमान मापने से कोरोना वायरस को रोकने में कोई मदद मिलती है? स्वस्थ्य विशेषज्ञों और लोगों का इस बारे में बहुत ही साधारण सा सवाल है कि क्या यह कोविड-19 के प्रसार को कम करने में प्रभावी हैं? अगर नहीं तो ऐसा करने के पीछे क्या मजबूरी है? इस महामारी की शुरुआत में बुखार आना इसके सबसे शुरुआती और सामान्य लक्षण के रूप में सामने आया था। इसलिए शरीर का तापमान मापने के लिए ‘नो-कॉन्टेक्ट’ थर्मामीटर्स का उपयोग किया जाता है क्योंकि ऐसा कोई भी व्यक्ति वायरस से संक्रमित हो सकता है। लेकिन महामारी के 7-8 महीने बीत जाने के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है कि शरीर के तापमान की जांच उतनी भी प्रभावी नहीं होती जितनी कि वह लगती है।

संक्रमण बुखार तक सीमित नहीं
दर्जनों अध्ययनों से पता चला है कि कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के एक बड़े हिस्से में बुखार के लक्षण नहीं थे यानी वे संक्रमित तो थे लेकिन उन्हें न तो तेज बुखार था न ही सूखी खांसी। एक शोध के अनुसार अस्पताल आने वाले 30 से 43 फीसदी संदिग्ध या संक्रमित रोगियायें में औसतन 40 फीसदी पूरी तरह से स्पर्शोन्मुख (asymptomatic) होते हैं। ऐसे ही एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि महामारी की शुरुआत में दुनिया भर में यात्रा कर रहे 46 फीसदी यात्रियों के तापमान जांच में उन्हें वायरस के संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई जबकि वे उस समय भी कोविड-19 वायरस से संक्रमित थे। दरअसल, सामान्य जीवन में बुखार मापने पर भी शरीर का तापमान एक ही दिन में अलग-अलग समय पर भिन्न-भिन्न हो सकता है। ऐसा स्वस्थ्य व्यक्ति जो अभी धूप में चलकर या कुछ माले सीढिय़ां चढ़कर आया हो उसके शरीर का तापमान भी बढ़ा हुआ हो सकता है। वहीं हल्के या वाले उस व्यक्ति का उच्च तापमान भी थर्मामीटर स्कैनर से पकड़ में नहीं आएगा जिसने कुछ समय पहले ही इब्रूफेन दवा खाई हो जबकि वे वायरस दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सकते हैं।

कोरोना अलर्ट: क्या शरीर का तापमान चेक करने से कोरोना को रोका जा सकता है?

थर्मामीटर जांच को लेकर भ्रम
महामारी के इस दौर में ‘नो-कॉन्टेक्ट’ थर्मामीटर स्कैनर्स से तापमान जांचने को लेकर बहुत से स्वास्थ्य संगठन भी सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि यह सिर्फ जीव विज्ञान और हमारी गतिविधियों की ही वजह से नहीं है जो तापमान जांच को कम प्रभावी बनाता है। स्वास्थ्य संगठनों के बीच थर्मामीटर रीडिंग में बुखार को लेकर भी कुछ भ्रम है। इतना ही नहीं कुछ देशों में तो शरीर का तापमान जांचने वालों पर भी आरोप लगाए जाने की रिपोर्ट है, क्योंकि उन्हें उपकरणों का उपयोग करने का पर्याप्त प्रशिक्षण तक नहीं दिया गया था। ऐसे ही बहुत से संस्थानों के पास उचित उपकरण नहीं हैं या वे तापमान जांचने का जो तरीका उपयोग कर रहे हैं वे गलत हैं।

कोरोना अलर्ट: क्या शरीर का तापमान चेक करने से कोरोना को रोका जा सकता है?
ऐसे ही चिकित्सक समुदाय कोविड-19 के संदर्भ में नो-कॉन्टैक्ट थर्मामीटर का उपयोग करने के तरीके पर भी सहमत नहीं है। हालांकि चीन में किए गए एक गैर-सहकर्मी समीक्षा अध्ययन में पाया गया कि माथे पर स्कैनर की मदद से शरीर का तापमान मापने की तुलना में कलाई से मापना ‘अधिक स्थिर’ परिणाम थे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिसीज़ के निदेशक और शीर्ष अमरीकी कोरोनावायरस के विशेषज्ञ एंथोनी फौसी ने भी तापमान की जांच को बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं बताया है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन भी इस पर बहुत भरोसा नहीं जताता लेकिन बावजूद इसके मार्च के बाद पहली बार रेस्तरां में इनडोर भोजन की अनुमति के साथ ही प्रवेश करने से पहले रेस्तरां को तापमान जांच करने की हिदायत दी गई है।

Home / Health / कोरोना अलर्ट: क्या शरीर का तापमान चेक करने से कोरोना को रोका जा सकता है?

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.