बता दें कि कोविड के मरीजों में एक साल तक दिल के दौरा पड़ने का डर रहता है। क्योंकि हार्ट के सिकड़ने या ब्लड क्लाटिंग आदि से दिल को कभी भी नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर साल में एक या दो बार मरीज ईसीजी करा लें तो उसके दिल के कार्यशैली और स्वस्थता का आसानी से पता चल सकेगा और हार्ट अटैक के खतरों से भी बचाया जा सकेगा।
ईसीजी के जरिएक क्यूटी अंतराल से दिल के अंदर का हाल पता चलता है। दिल के काम करने के तरीके या पंपिंग में चेजेंस के आधार पर दिल के स्वास्थ्य को एक ग्राफ के जरिए डॉक्टर देखते हैं। इसलिए अगर आप कोविड के मरीज रहे हैं तो आपको साल में एक या दो बार ईसीजी जरूर करा लेना चाहिए।
ईसीजी के जरिएक क्यूटी अंतराल से दिल के अंदर का हाल पता चलता है। दिल के काम करने के तरीके या पंपिंग में चेजेंस के आधार पर दिल के स्वास्थ्य को एक ग्राफ के जरिए डॉक्टर देखते हैं। इसलिए अगर आप कोविड के मरीज रहे हैं तो आपको साल में एक या दो बार ईसीजी जरूर करा लेना चाहिए।
इस अध्ययन में COVID-19 के रोगियों पर लंबे समय तक नजर रखी गई। क्योंकि इसके हार्ट में कोरोना के चलते कई बदलाव नजर आए थे। इन रोगियों में क्यूटी अंतराल पर नजर रखकर इनके दिल की धड़कनों की गति और कार्य के साथ दीर्घकालिक मृत्यु दर की संभावना के बीच के संबंधों पर अध्ययन किया गया। क्यूटी अंतराल और मायोकार्डियल क्षति के बीच संबंधों का भी मूल्यांकन में पाया गया कि कोविड के मरीजों में हृदय की कोशिकाएं मरने की संभावना ज्यादा होती है और हार्ट रेट में भी काफी बदालव होता रहता है। ऐसे में ईसीजी ही एक जरिया है, जिससे मरीजों की जान बचाई जा सकती है।