सवाल : इंसुलिन क्या है?
इंसुलिन पैंक्रियाज (अग्नाशय) के बीटा सेल्स में बनने और निकलने वाला हार्मोन होता है जो ग्लूकोज के स्तर और मेटॉबॉलिज्म को ठीक रखता है। शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज का उपयोग करती हैं। शरीर को ऊर्जा मिलती है और व्यक्ति काम करता है।
सवाल : इंसुलिन कैसे बनता है?
इं सुलिन व्यक्ति के शरीर में जरूरत के अनुसार बनता है। इसमें उसके शरीर के हॉर्मोन, दिनचर्या के आधार पर इसका निर्माण होता है। पैंक्रियाज शरीर की जरूरत के अनुसार इंसुलिन का निर्माण घटाते या बढ़ाते रहते हैं। हर व्यक्ति की क्षमता अलग होती है।
सवाल : टाइप वन डायबिटीज क्या है?
इसमें इम्युनिटी शरीर के खिलाफ काम करती है जिससे शुगर लेवल असंतुलित होता है। शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है और ताउम्र इंसुलिन लेना पड़ता है। यह दुबले-पतले लोगों को भी हो सकती है।
सवाल : टाइप टू डायबिटीज क्या है?
यह खराब जीवनशैली, दूषित खानपान, फास्ट फूड, तनाव और व्यायाम नहीं करने से होती है। इंसुलिन जरूरत के अनुसार नहीं बनता है। सेल्स में इंसुलिन रिसेप्टर्स ग्लूकोज नहीं खींच पाते हैं जिससे रक्त में ग्लूकोज बढ़ जाता है।
सवाल : जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाइटस क्या है?
गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाइटस कहते हैं। यह प्रसव बाद अपने आप ठीक हो भी जाती है। गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज लेवल का ध्यान नहीं रखने पर गर्भ में पल रहे शिशु को जन्मजात विकृति हो सकती है। गर्भपात भी हो सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज में बीपी और तनाव बढ़ सकता है। ऑपरेशन से प्रसव की आशंका अधिक रहती है।
सवाल : सेकेंडरी डायबिटीज क्या है?
य ह डायबिटीज एंडोक्राइन डिसऑर्डर (हॉर्मोनल) से होती है। जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी है और दवा चल रही है उस वजह से भी इसकी आशंका रहती है। जन्मजात विकृति की वजह से रक्त में ग्लूकोज लेवल गड़बड़ होता है। ऐसी स्थिति में उस प्राथमिक कारण का इलाज हो तो डायबिटीज खत्म हो सकती है। यह डायबिटीज किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट के साथ अन्य गंभीर रोगों से पीडि़त मरीजों में अधिक देखने को मिलती है।
सवाल : इसके लक्षण क्या हैं?
डायबिटीज की शुरुआत में बहुत सामान्य से लक्षण दिखते हैं। थकावट महसूस होना, बहुत अधिक भूख व प्यास लगना, बार-बार यूरिन आना, वजन घटना, ज्यादा खाने के बाद भी वजन कम होना, जननांगों में जलन महसूस होना, बार-बार संक्रमण होना, चोट लगने पर घाव का न भरना, पैरों में झनझनाहट, आंखों से कम दिखाई देने जैसी तकलीफ होती हैं।
सवाल : डायबिटीज के लक्षण दिखने के बाद क्या करें?
लक्षण दिखने पर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या जनरल फिजिशियन को दिखाना चाहिए। बीमारी की पुष्टि के लिए ब्लड शुगर जांच खाली पेट जबकि खाना खाने के दो घंटे बाद ब्लड टैस्ट कराते हैं। रक्त में पिछले तीन महीने में ग्लूकोज का स्तर क्या रहा इसका पता ‘एचबी1एसी’ टैस्ट से चलता है।
सवाल : इसमें क्या परेशानी होती है?
डायबिटीज से जुड़ी परेशानियों को शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में विभाजित किया गया है। शॉर्ट टर्म में बार-बार यूरिन इंफेक्शन, जननांगों में इंफेक्शन, यूरिन इंफेक्शन और टीबी का संक्रमण होता है। लॉन्ग टर्म में डायबिटीज होने के पांच साल बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं शुरू होती हैं जिनमें शरीर के भीतर कई परेशानी होती है।
फास्टिंग ब्लड शुगर 100 से कम सामान्य है
खाने के बाद (पीपी) 140 से कम होनी चाहिए
एचबी1एसी 5.7 से कम है तो सामान्य है
फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज 100-125 इंपेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज
खाने के बाद (पीपी) 140-155 इंपेयर्ड ग्लूकोज टॉलरेंस
एचबी1एसी 6.4 पहुंच गई है तो चेतने की जरूरत होती है ब्लड शुगर लेवल इतना तब होती है पुष्टि
फास्टिंग ब्लड शुगर (एफबीजी) 126 एमजी/डीएल से अधिक
खाना खाने के बाद (पीपी) 200 एमजी/डीएल हो गई है
एचबी1एसी का लेवल 6.4 से अधिक हो जाता है तब