scriptसबके सामने खाने में शर्माते हैं या खाते हैं ज्यादा, तो आपको है ये रोग | Facts, Signs and Symptoms of Anorexia Nervosa | Patrika News

सबके सामने खाने में शर्माते हैं या खाते हैं ज्यादा, तो आपको है ये रोग

Published: Jun 20, 2016 03:29:00 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

कैसे-कैसे डिसऑर्डर एनारेक्सिया नवरेसा इसे एनारेक्सिया भी कहा जाता है। इसमें शरीर का वजन कम हो जाता है। जो लोग एनारेक्सिया से पीडि़त होते हैं, वे अपने भार और शरीर के आकार को नियंत्रित करने का बहुत ज्यादा प्रयास करते हैं।

Anorexia

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कैसे-कैसे डिसऑर्डर एनारेक्सिया नवरेसा इसे एनारेक्सिया भी कहा जाता है। इसमें शरीर का वजन कम हो जाता है। जो लोग एनारेक्सिया से पीडि़त होते हैं, वे अपने भार और शरीर के आकार को नियंत्रित करने का बहुत ज्यादा प्रयास करते हैं। इससे शरीर और जीवन की सामान्य गतिविधियां प्रभावित होती हैं। 
एनारेक्सिया से पीडि़त लोग कैलोरी काफी कम मात्रा में लेते है या वजन कम करने के लिए अधिक व्यायाम और पेट साफ रखने के लिए लैक्जेटिव फूड या खाने के बाद उल्टी करा देने वाली चीजें खाते हैं। इनके वजन कम करने के ये प्रयास तब भी जारी रहते हैं, जब वजन अत्यधिक कम हो जाता है। कभी-कभी इससे पीडि़त खुद को इतना भूखा रखता है कि धीरे-धीरे स्थिति गंभीर होने लगती है। बुलिमिया नवरेसा इसमें व्यक्ति का खानपान पर नियंत्रण नहीं रहता। 
ऐसे लोग कम समयावधि में ही ज्यादा मात्रा में खा लेते हैं। इसके बाद गलत तरीके से उस अतिरिक्त कैलोरी को कम करने का प्रयास करते रहते हैं। ऐसे लोग ज्यादा खाने के बाद बेचैन रहते हैं। बिंज ईटिंग डिसऑर्डर इससे पीडि़त लोग नियमित ज्यादा भोजन खाते हैं। इन्हें अहसास रहता है कि ये अनियंत्रित भोजन कर रहे हैं। पिका इसमें व्यक्ति नॉनफूड आइटम जैसे साबुन, कपड़ा, टैलकम पाउडर, धूल-मिट्टी, चॉक आदि खाने लगता है। 
इन्हें यह समस्या महीने में एक बार जरूर होती है। ये चीजें फूड पॉइजनिंग, पाचन संबंधी समस्या या संक्रमण पैदा करने के साथ कई दिक्कतें पैदा करती हैं। रिस्ट्रक्टिव फूड इनटेक डिसऑर्डर इससे पीडि़त व्यक्ति की खाने में रुचि न होने से उसका वजन घटता रहता है। रोगी कुछ खाद्य पदार्थों के रंग, टेक्स्चर, गंध या स्वाद के कारण इन्हेंं खाने से डरता है। 
ऐसे में खासकर बचपन में पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है। रूमिनेशन डिसऑर्डर रूमिनेशन डिसऑर्डर लगातार व स्थायी रूप से खाना खाने के बाद भोजन का वापस मुंह में आना है। जी मिचलाने या उल्टी होने से ऐसा होता है। ऐसे में भोजन को बाहर थूक दिया जाता है या इससे बचने के लिए व्यक्ति कम खाता है। 
ऐसे में व्यक्ति कुपोषित हो जाता है। यह समस्या नवजात में भी देखने को मिलती है। इन लक्षणों से पहचानें खाना न खाने के लिए बहाने बनाना, हैल्दी ईटिंग पर काफी फोकस करना, घर में जो कुछ बना है, उसे खाने की बजाय अपना खाना अलग से बनाना। 
इसके अलावा सामाजिक गतिविधियों से दूर रहना, शारीरिक में कमियां ढूंढऩे के लिए बार-बार शीशे में खुद को जांचना, बार-बार काफी मात्रा में मिठाइयां या उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ वाला, वजन कम करने के लिए डाइट्री सप्लीमेंट्स या हर्बल उत्पादों को लेना या छिपकर खाना आदि इस डिसऑर्डर के लक्षण हैं। यह है उपचार ईटिंग डिसऑर्डर कौनसा व कितना पुराना है, इसपर इलाज निर्भर करता है। 
इसमें साइकोथैरेपी, पोषण के बारे में जानकारी देना व दवाएं लेना शामिल हैं। गंभीर स्थितियों में मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत भी पड़ती है। साइकोथैरेपी/टॉक थैरेपी इस थैरेपी में गलत आदतों को कैसे बदलें इसकी जानकारी दी जाती है। 
इसमें दो तरह की थैरेपी शामिल हैं- कॉग्निटिव बिहेवरल थैरेपी यह थैरेपी बुलिमिया व बिंज ईटिंग डिसऑर्डर में काम आती है। इसमें खानपान की आदतों को मॉनीटर करना, समस्याओं का समाधान करने का कौशल और तनाव से कैसे निपटा जाए, सिखाया जाता है। 
फैमिली बेस्ड थैरेपी इस थैरेपी का इस्तेमाल बच्चों और किशोरों के लिए करते हैं। इसमें परिवार से चर्चा कर उन्हें समझाया जाता है कि बच्चों या परिवार के अन्य सदस्यों के लिए ईटिंग हैबिट पैटर्न को कैसे फॉलो किया जाए। साथ ही कैसे वजन नियंत्रित रखें। दवाओं का इस्तेमाल रोग की वजह व गंभीरता को जानने के बाद मनोचिकित्सक सिंगल व कॉम्बिनेशन दवाओं की मदद लेते हैं। ये दवाएं जरूरत से ज्यादा या कम खाने से रोकती हैं। 
डॉ. आई. डी. गुप्ता आचार्य, मनोचिकित्सा विभाग, एसएमएस अस्पताल, जयपुर

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