एक घंटे के भीतर पहुंचे अस्पताल
सडक़ हादसे में सिर की चोट लगने पर रोगी की स्थिति जैसी भी हो उसे हर हाल में एक घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचना चाहिए। दिमाग में चोट लगने के बाद उसमें सूजन आती है जिससे व्यक्ति की स्थिति बिगड़ सकती है। एक घंटे के भीतर पीडि़त अस्पताल पहुंच जाएगा तो उसे ‘गोल्डेन ऑवर’ ट्रीटमेंट मिल सकता है और उसकी जान बचने के साथ अपंगता का भी खतरा काफी कम हो जाता है। इलाज से पहले सीटी स्कैन जांच करवाते हैं जिससे चोट से दिमाग को कितना नुकसान हुआ है इसका पता चल सके।
सिर की चोट तीन हिस्से में बांटते
सिर की चोट को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। पहला माइल्ड जिसमें व्यक्ति को सामान्य चोट लगती है और कुछ दिन की दवा के बाद आराम मिल जाता है। दूसरा मॉडरेट जिसमें चोट लगने के बाद व्यक्ति का चलना-फिरना बंद हो जाता है। सीवियर में रोगी का बोलना बंद होने के साथ हार्ट अटैक आ सकता है जो चोट की त्रीवता पर निर्भर करता है। सिर में चोट की वजह से दिमाग में सूजन, बेहोशी, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। कुछ मामलों में ब्रेन की झिल्ली के बाहर और अंदर खून जम जाता है जिससे दिमाग के काम करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है।
ये सावधानी बरतें
पीडि़त की सांस चेक करें। सिर में कोई नुकीली चीज घुसी है तो उसे निकालने की कोशिश न करें। इससे दिमाग को नुकसान होने के साथ अत्यधिक ब्लड लॉस होने का खतरा रहता है जिससे हैमरेज होने की आशंका बढ़ जाती है। सिर से खून बह रहा है तो उसे साफ कपड़े से रोकें। बहुत अधिक खून बहने से ब्लड प्रेशर गड़बड़ हो सकता है। सिर में चोट लगने के बाद चक्कर और उल्टी आने की शिकायत सबसे अधिक होती है। इसे हल्के में न लें इससे परेशानी बढ़ सकती है।
बच्चों का रखें खास खयाल
बच्चों को सिर में चोट खेलते वक्त या या ऊंचाई से गिरने की वजह से अधिक लगती है। ऐसे में माता-पिता को बच्चे का खास ध्यान रखना चाहिए जिससे उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो। बच्चों का सिर बड़ों की तुलना में कम मजबूत होता है इस वजह से उन्हें चोट का असर ज्यादा हो सकता है।
डॉ. वी.डी सिन्हा, सीनियर न्यूरो सर्जन, एसएमएस अस्पताल, जयपुर