भागदौड़ की जिन्दगी में बढ़ रहे काम और दिमाग पर पड़े जोर ने हमें “टेबलेट” का आदी बना दिया है। दिन भर के काम का बोझ और शाम को घर में सुकून की तलाश करने से पहले हम हैडेक दूर करने की कोशिश में सिर दर्द की टेबलेट को रूटीन में अपना लिया है।
अकेले नागौर शहर में हर माह एक लाख टेबलेट केवल सिर दर्द दूर करने की बिक रही है। कुछ साल पहले बुजुर्ग या घरेलू महिलाओं ने इसे बड़े पैमाने पर अपनाया था, लेकिन अब तो हर वर्ग के लिए यह दिनचर्या का हिस्सा बन गई है। दोपहर या शाम को वे टेबलेट नहीं लें तो उन्हें सिर दर्द से निजात ही नहीं मिलती है।
मार्केट में 50 तरह की टेबलेट
केवल सिर दर्द को भगाने के लिए मार्केट में 50 तरह की टेबलेट उपलब्ध है। इनमें से 10 तरह की टेबलेट शहर में बिक्री होना रूटीन है। एक मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि मामूली सिर दर्द में लोग टेबलेट खरीदने आ जाते हैं और उन्हें रूटीन में चलने वाली कई टेबलेट के नाम मौखिक याद रहते हैं।
आदी होने का डर
सिर दर्द की टेबलेट लंबे समय तक लेने से इनकी आदत लगने का डर रहता है। मामूली सिर दर्द के दौरान भी टेबलेट का उपयोग कर लेने से धीरे-धीरे हमारे शरीर को इसकी आदत लग जाती है। सिर दर्द की टेबलेट का लगातार सेवन नशे की तरह आदत में आ जाता है।
प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर
सिर दर्द होने पर टेबलेट लेने के शुरूआती दिनों में भी हल्का महसूस होता है, लेकिन धीरे-धीरे वह टेबलेट असर करना बंद कर देती है। मजबूरन हाई डोज की टेबलेट लेनी पड़ती है। इसके लिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।
जीवन शैली में बदलाव बड़ा कारण
सामाजिक जीवन में हमारी जीवन शैली में आए बदलाव इसका बड़ा कारण है। बढ़ी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए हमारी दिनचर्या में बदलाव आ गया। प्रर्याप्त नींद नहीं, घर में सुकून की तलाश पूरी नहीं होती। इसके चलते हैडेक हो जाता है। इसे भगाने के लिए हम टेबलेट लेते हैं और एक समय ऎसा आता है जब टेबलेट हमें अपने काबू में कर लेती है।
– डॉ. मनीष जोशी, समाजशास्त्री
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