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खानपान भी बना सकता है मनुष्य को गुस्सैल, वैज्ञानिकों ने बताई ये वजह

Published: Apr 23, 2017 11:32:00 am

Submitted by:

santosh

जंतु जगत में मनुष्य के मस्तिष्क के समान अनोखा अंग शायद ही कोई हो। इस अंग की बदौलत मनुष्य ने पूरे संसार में अपना वर्चस्व जमाया है।

जंतु जगत में मनुष्य के मस्तिष्क के समान अनोखा अंग शायद ही कोई हो। इस अंग की बदौलत मनुष्य ने पूरे संसार में अपना वर्चस्व जमाया है। आखिर वे कौन-से कारक थे जिनके कारण मनुष्य के मस्तिष्क का ऐसा असाधारण विकास हुआ? हार्वड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रिचर्ड रैंगहैम ने अफ्रीका के जंगलों में लंबे समय तक रह कर चिम्पाजियों का अध्ययन किया । 
उनके अनुसार मनुष्य के मस्तिष्क के विकास का कारण केवल मांसाहार न हो कर आग में पकाए गए भोजन का सेवन भी है। आग पर सेंकने से भोजन में उपस्थित स्टार्च और प्रोटीन के अणुओं का पाचन आसान हो जाता है और उससे इतना पोषण मिलता है कि वह शरीर और मस्तिष्क दोनों को शक्ति प्रदान करता है। इस सिद्घांत के अनुसार पूर्वजों की तुलना में आधुनिक मनुष्य के दांत छोटे और जबड़े कमजोर होना भी इस बात का प्रमाण है कि पकाने से भोजन नरम हो जाता है और उसे चबाने में कम जोर लगाना पड़ता है। 
कच्चे भोजन की तुलना में पके हुए भोजन की कम मात्रा से अधिक पोषण प्राप्त किया जा सकता है और इस कारण पकाने की शुरुआत होने पर मनुष्य के पूर्वजों को भोजन खोजने, चबाने और पचाने में कम समय लगने लगा। इस कारण मनुष्य की आहारनाल छोटी हो गई और अतिरिक्त पोषण से उसके मस्तिष्क का तेजी से विकास हुआ। आग पर नियंत्रण से मनुष्य का पेड़ों की बजाए जमीन पर रहना संभव हुआ। मस्तिष्क व भोजन के बीच संबंधों को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने कई प्रयोग किए। मैनचस्टर मेडिकल रिसर्च इन्स्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने आहार के संबंध में चूहों पर एक प्रयोग किया। 
चूहा स्वभावत: शांत प्रकृति का होता है। प्रयोगशाला में पाले गए चूहों में से कुछ को बाहर निकाला गया और उन्हें सामान्य आहार न देकर मिर्च-मसाले तथा मांस और नशीली चीजों से बना आहार दिया गया। इसे खाने से पूर्व वे चूहे बेहद शांत थे, लेकिन कुछ ही घंटों के बाद ये चूहे उद्दण्ड और आक्रामक बन गए। उन्हें वापस पिंजरे में छोड़ा गया, तो वे आपस में ही लडऩे और झगडऩे लगे। इससे ये चूहे लहू-लुहान हो गए। इसके बाद उन्हीं चूहों को दूसरी बार सरल, शुद्ध और सात्विक भोजन दिया। 
इस पर भी पिछला प्रभाव तो बाकी था, लेकिन चूहे इस बार अपेक्षाकृत काफी शांत थे। कई बार इस तरह का आहार लेने के बाद ही वे अपनी वास्तविक स्थिति में आ पाए। इस तरह के सैकड़ों प्रयोगों द्वारा इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता कि जो कुछ खाया -पिया जाता है, उससे शरीर का पोषण ही नहीं होता वरन् लिया गया भोजन, मनुष्य का व्यक्तित्व बनाने में भी असाधारण भूमिका निबाहता है। 
मस्तिष्क के विकास में पके भोजन का भी योगदान है। इससे भोजन में उपस्थित स्टार्च और प्रोटीन के अणुओं का पाचन आसान हो जाता है और इसके पोषण से शरीर और मस्तिष्क दोनों को शक्ति मिलती है।
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