पेरू के आदिवासियों को प्रागैतिकहासिक काल से इस लाल मिर्च की जानकारी थी। इसके खेती भारत समेत अफ्रीका, जापान, मैक्सिको, तुर्की, अमेरिका आदि जगहों पर की जाती है। अमेरिका के वर्मोट विश्वविद्यालय के शोध में सामने आया है कि लाल मिर्च कोलेस्ट्रोल को 13 प्रतिशत तक घटाती है। 16 हजार रोगियों पर शोध किया है। नियमित लाल मिर्च खाने से मोटापा नियंत्रित और रक्त संचार बेहतर होता है। शरीर में हानिकारक सूक्ष्म जीवों से लडऩे की क्षमता बढ़ती है।
– इसकी होम्योपेथिक दवाएं भी बनती हैं। – इसमें कैप्सिसीन तैलीय रेजिन चरपराहट की वजह होता है। – सूखी मिर्च में प्रोटीन, वसा, कैल्सियम, फास्फोरस, लौह, विटामिन सी, ई, कैरोटीन, ताम्र आदि न्यून मात्रा में पाया जाता है।
– हरी मिर्च में 82 प्रतिशत आद्र्रता पाई जाती है, जो सूखने पर 10 फीसदी रह जाती है। – इसके अधिक सेवन से स्पर्म नाश होता है। चक्कर आना, ब्लड प्रेशर बढऩा, कष्ठदाह, मुख में छाले, आमाशय में दाह, अल्सर, अम्ल पित्त रोग, नकसीर आना, पेशाब में जलन हो जाती है। तब शीतल पेय का सेवन करें।
– डेनमार्क के शोधकत्र्ताओं ने लाल मिर्च से प्यूरीफाइडकेप्सेसीन तत्व तैयार किया है। यह वेदना नाशक गुण से युक्त है। – सोरायसिस चर्म रोग में केप्सीसिन तत्व क्रीम में मिलाकर लगाने से तीव्र खुजली शांत होने के साथ ही जलन भी कम हो जाती है।
– कुत्ते के काटे हुए पर सरसों के तेल में पिसी लाल मिर्च व हल्दी मिलाकर लेप करें। जलन जरूर होती है, परंतु श्वान विष नष्ट होकर ठीक होते देखा गया है। यह प्रयोग प्राचीन समय से होता आया है, जिसका दुष्परिणाम देखने में नहीं मिलता है।
– इसी तरह बिच्छू विष पर भी मिर्च-तेल का लेप काम करता है। – कैरी के पुराने अचार वाले तेल में लाल मिर्च मिलाकर खुजली, दाद, पामा (चिप चिप गीली खुजली) पर लगाने से आराम मिलता है।
– संधि और घुटनों के दर्द में 100 ग्राम अरंण्ड के तेल में 5 ग्राम लाल मिर्च डालकर हल्का गर्म कर फिर इसे ठंडा करके दर्द वाले स्थान पर मालिश करने से आराम मिलता है। जलन हो तो, वह कुछ समय बाद मिट जाती है।
– मुख में लंबे समय तक छाले होने पर पिसी लाल मिर्च को पानी में डालकर कुल्ले करें। तेज जलन होने की स्थिति में जीभ पर घी लगा लें। – मधुमेह रोगी, ह्रदय रोगी, जिनकी धमनियों में रुकावट हो, को उचित मात्रा में लाल मिर्च का सेवन करने से आराम मिलता है।