इसका साइड इफेक्ट नहीं है और कीमो की भी जरूरत नहीं होती। साथ ही लंग कैंसर की जांच में टिश्यू से किया जाने वाला बायोमार्कर परीक्षण भी शत प्रतिशत नतीजे दे सकता है। लंग कैंसर को लेकर जयपुर में शनिवार से शुरू हुई दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश से आए एक्सपट्र्स ने खतरनाक बीमारी से बचाव और इलाज पर मंथन के दौरान जानकारी दी।
एसएमएस अस्पताल के रेस्पाइरेटरी डिजीज इंस्टीट्यूट और मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से कॉन्फ्रेंस एक होटल में आयोजित की गई। इस मौके पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा कि कैंसर के प्रति अभी भी जागरूकता का अभाव है, इस कारण देर से बीमारी का पता चलता है। उन्होंने कहा कि कॉन्फ्रेंस में लंग कैंसर के सस्ते और अच्छे इलाज के लिए आने वाले सुझावों को राज्य सरकार प्राथमिकता से लागू करेगी। कार्यक्रम में सांसद रामचरण बोहरा, ज्योति किरण, औंकारसिंह लखावत आदि मौजूद थे।
जांच से शुरुआती अवस्था में चलेगा पता डॉ. केबी गुप्ता ने बताया ब्रोंकोस्कॉपी तकनीक व बलगम की जांच से लंग कैंसर शुरुआती अवस्था में पकड़ सकते हैं। डॉ. नवनीत सिंह, डॉ. के.टी. भौमिया, डॉ. अनीश मारू ने भी जानकारी दी।
एसएमएस अस्पताल में हर साल सर्वाधिक लंग कैंसर मरीजों का इलाज आयोजन सचिव डॉ. नरेंद्र खिप्पल ने बताया कि एसएमएस अस्पताल का श्वसन रोग संस्थान देश में अकेला ऐसा अस्पताल है, जिसमें हर साल सर्वाधिक मरीजों का लंग कैंसर का इलाज होता है। कॉन्फ्रेंस में विशाखापट्टनम के होमी भाभा कैंसर अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. रघुनाध राव, डॉ. संदीप जसूजा ने भी विचार प्रकट किए। डॉ. नवनीत सिंह ने बताया कि लंग कैंसर के इलाज में अभी 5 तरह की थैरेपी काम में ली जा रही है। इनमें टारगेट थैरेपी उन मरीजों के लिए ज्यादा लाभप्रद है, जो महंगा इलाज नहीं करा पाते और अंतिम स्टेज में रहकर भी उमंगभरा जीवन जी सकते हैं। इसमें मात्र एक गोली रोज लेकर मरीज कैंसर से लड़ सकता है।