आज हम आपको बताने जा रहे हैं अश्वगंधा क्वाथ के बारे में। अश्वगंधा क्वाथ एक सर्वोत्तम टॉनिक है। यह शक्ति वर्द्धक है, साथ−ही−साथ सभी प्रकार की शारीरिक−मानसिक कमजोरियों को दूर कर आपको को हमेशा तरोताजा बनाए रखता है।
आयुर्वेद के अनुसार 48 ग्राम ( चार ताेला) जौकुट औषधि लेकर सोलह गुने ( करीब पौन लीटर ) पानी में धीमी आग पर तब तक उबाले जब तक पानी चौथार्इ ना रह जाए। हलका गरम रहने पर इस छान कर धीरे-धीरे पीएं। अाैषधी अाैर पानी के इस तरह तैयार किए गए मिश्रण को क्वाथ या काढ़ा कहते हैं।
अश्वगंधा—1/2 चम्मच, शतावर—1 चम्मच, विधारा—1 चम्मच, गोक्षरु—1 चम्मच, नागरमोथा—1 चम्मच, दशमूल—1/2 चम्मच, मुलहठी—1 चम्मच, विदारीकंद—2 चम्मच । क्वाथ बनाने की विधि क्वाथ बनाने का सबसे सरल एवं अच्छा तरीका यही है कि निर्धारित मात्रा में क्वाथ घटकों के जौकुट (मोटा) पाउडर को रात में भिगो दिया जाए और सुबह मंद आग पर उबाला जाए। सुविधानुसार इसे सुबह भिगोया और दोपहर में उबाला या दोपहर में भिगोकर शाम को उबाला जा सकता है। काढ़े को उबालने से पहले उसे कम−से−कम 8−10 घंटे पहले भिगोकर रखने से वह अधिक गुणकारी हो जाता है। क्वाथ हमेशा धीमी आँच पर ही बनाना चाहिए। सामान्य नियम यह है कि क्वाथ की मात्रा यदि 10 ग्राम है तो उसको लगभग 300 मिलीलीटर शेष रह जाए तब छानकर पानी (क्वाथ) पी लेना चाहिए।
आयुर्वेदानुसार वयस्कों के लिए जौकुट पाउडर या चूर्ण चार तोला अर्थात् 48 ग्राम एवं बच्चाें के लिए 24 ग्राम निर्धारित है। क्वाथ सेवन का सही समय
क्वाथ पीने का सबसे सही समय भोजन पचने के बाद का है, यानि सुबह खाली पेट क्वाथ पीना अमृत के समान गुणकारी होता है। क्वाथ का स्वाद कड़वा होने पर उसमें शहद या मीठा मिलाकर भी पी सकते हैं,लेकिन बिना मीठे के क्वाथ पीना ज्यादा लाभकारी है। क्वाथ या काढ़ा जहाँ तक हो सके, हमेशा ताजा बनाकर ही पीना चाहिए। सुबह का बनाया हुआ क्वाथ शाम को एवं शाम का बनाया हुआ सुबह को लिया जा सकता है। यह अमृत के समान गुणकारी होता है। काढ़ा पीने के बाद एक घंटे तक पानी भी नहीं पीना चाहिए। जो लोग सही तरीके व नियमित रूप से क्वाथ का सेवन करते हैं वो कायाकल्प जैसे स्फूर्ति भरे जीवन का आनंद उठाते हैं।