बोतल से दूध पीते वक्त बच्चे के पेट में हवा जाती है और उसे पेट में दर्द होता है। बोतल से संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए बोतल 1-2 महीने में बदल लें। बाजार में दो तरह की दूध की बोतल मिलती हैं। लेटेक्स की निप्पल वाली बोतल सस्ती होती हैं और इनसे संक्रमण ज्यादा होता है,जबकि सिलिकॉन निप्पल वाली बोतल महंगी होती है, यह अन्य बोतलों से बेहतर है। इनमेेंनिप्पल को रेगुलेट किया जा सकता है।
ये करें: पुराने जमाने में ज्यादातर महिलाएं बच्चे के साथ घर पर रहती थी इसलिए बोतल से दूध पिलाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। आजकल मम्मी वर्किंग हैं और बच्चे बोतल से दूध पीते हैं, इसलिए बोतल की साफ-सफाई का ध्यान रखें, गिलास या चम्मच से भी दूध पिला सकते हैं। ब्रेस्ट फीडिंग से बच्चे का विकास होता है और मां को ब्रेस्ट कैंसर की आशंका नहीं रहती।
बच्चे के लिए पेसिफायर (चूसनी) बहुत नुकसानदायी होती है। मां बच्चे को व्यस्त रखने के लिए उसके मुंह पर पेसिफायर लगा देती हैं। पेसिफायर मुंह में इंफेक्शन पैदा करते हैं। इससे दूध के दांतों की संरचना भी बिगड़ती हैं। इनसे बच्चे को उल्टी, पेटदर्द, दस्त और रेस्पिटेरटरी इंफेक्शन(फेफड़े संबंधी) भी हो सकता है।
दूध पीने के बाद बच्चे के पेट में गैस से पेटदर्द होता है जो थोड़ी देर में ठीक हो जाता है। इसके लिए मम्मियां ग्राइप वाटर की मदद लेती हैं। इनमें सोडियम बाइकार्बोनेट होता है, जो गैस निकलने में मदद करता है। ग्राइप वाटर ना लेने पर भी बच्चे के पेट से हवा थोड़ी देर में निकल जाती है।
बच्चे के कमरे या बिस्तर के आसपास टेडी बियर ना रखें। इन खिलौनों से बच्चे को ब्रीदिंग और एलर्जी की समस्याओं से हो सकती है। कई बार इससे सडन डेथ सिंड्रोम के केस भी देखे गए हैं।
मसाज ऑयल्स में ३० फीसदी दवाएं होती हैं, जो एलर्जिक हो सकती हैं। बेबी लोशन, पाउडर व शैंपू से बचें, इनसे बच्चों को सांस संबंधी परेशानी हो सकती है। ड्राई स्किन वाले बच्चों को पाउडर बिल्कुल ना लगाएं। अगर बच्चे की स्किन में चकत्ते हो गए हैं, तो किसी मॉइश्चराइजिंग क्रीम से मालिश की जा सकती है।
माता-पिता बच्चे को चलाने के लिए उसके लिए वॉकर ले आते हैं, लेकिन इससे बच्चे के पैर टेढ़े हो सकते हैं। बच्चे को हर समय डायपर पहनाना भी सही नहीं हैं। इससे बच्चे को इंफेक्शन और लाल चकत्ते हो सकते हैं।
ये करें: वॉकर ना लाएं, एक साल का होने पर बच्चा खुद चलना सीख जाता है। इसके अलावा जरूरत पडऩे पर ही बच्चे को डायपर पहनाएं और नहलाने के बाद बच्चे की जांघों में पाउडर लगाएं