इक्वलिटी इन हेल्थ नाम के एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य जनरल में इस अध्ययन में छपी ये रिपोर्ट 45 साल से अधिक उम्र वाले 237153 महिला पुरुषों पर की गई। इस रिसर्च में पाया गया कि कम पढऩे लिखने वालों को स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। ऐसे अधेड़ व्यक्ति जिन्होंने ग्रेजुएशन या उससे ऊपर की उच्च शिक्षा नहीं ली है, यूनिवर्सिटी स्तर की पढ़ाई करने वालों की अपेक्षा उनमें स्ट्रोक का खतरा 50 फीसदी अधिक होता है।
इस रिसर्च से पहले किताब पढऩे की आदत को लेकर एक और रिसर्च किया गया था। उसमें पाया गया था कि किताब पढऩे से तनाव और अवसाद जैसी समस्याएं होने का खतरा बहुत कम होता है, साथ में नींद भी बहुत अच्छी आती है क्योंकि ऐसा करने से हमारा दिमाग शांत हो जाता है। इसमें इस बात का भी खुलासा किया गया है कि उच्च शिक्षा से मानसिक बीमारी डाइमेंशिया में भी कमी आती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस रिसर्च से साबित होता है कि शिक्षा निजी जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है। ऑस्ट्रेलिया स्थित न्यू साउथवेल्स के हार्ट फाउंडेशन से जुड़े कैरी डोयल के अनुसार स्वास्थ्य पर अच्छी शिक्षा का दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। इससे जॉब, रहना, खाना-पीना आदि सब कुछ प्रभावित होता है।