यह अध्ययन यूरोपियन सोसाइटी फॉर पीडियाट्रिक एंडोक्रिनोलॉजी की बैठक में प्रस्तुत किया गया। इसे नीदरलैंड्स के एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर (UMC) ने किया। शोध जेंडर-अफर्मिंग उपचार (Gender-affirming treatments) से जुड़े परामर्श और हड्डियों पर यौन हॉर्मोन्स के प्रभाव को समझने में मदद कर सकता है।
जेंडर-अफर्मिंग हॉर्मोन थेरेपी क्या है? What is gender-affirming hormone therapy?
जेंडर-अफर्मिंग हॉर्मोन थेरेपी (Gender-affirming hormone therapy) एक ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति के शारीरिक स्वरूप को उनकी जेंडर पहचान के अनुरूप लाने का प्रयास किया जाता है। यौवन अवरोधक (प्यूबर्टी ब्लॉकर्स) का उपयोग ट्रांसजेंडर किशोरों में यौवन से संबंधित शारीरिक बदलावों को रोकने के लिए किया जाता है। हालांकि, इन हॉर्मोन्स का कंकाल पर प्रभाव अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं था।
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शोध में एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने 121 ट्रांसजेंडर महिलाओं और 122 ट्रांसजेंडर पुरुषों के कंधों और श्रोणि के आकार का विश्लेषण किया। इनमें से कुछ ने हॉर्मोन थेरेपी (Hormone therapy) ली थी, जबकि कुछ ने नहीं।
मुख्य निष्कर्ष ट्रांसजेंडर पुरुष: अगर किशोरावस्था के आरंभ में प्यूबर्टी ब्लॉकर्स और फिर हॉर्मोन थेरेपी दी गई, तो उनके कंधे सामान्य पुरुषों की तुलना में चौड़े और श्रोणि का आकार छोटा पाया गया।
ट्रांसजेंडर महिलाएं: केवल उन्हीं महिलाओं के कंधे छोटे और श्रोणि बड़ी पाई गईं, जिन्हें शुरुआती किशोरावस्था में प्यूबर्टी ब्लॉकर्स दिए गए। पेल्विक आकार पर असर: यह शोध पहली बार पेल्विस पर हॉर्मोन थेरेपी और प्यूबर्टी ब्लॉकर्स के प्रभाव को स्पष्ट रूप से समझाने का दावा करता है।
अपरिवर्तनीय प्रभावों की पहचान
अध्ययन से पता चलता है कि किशोरावस्था के दौरान हड्डियों में ऐसे बदलाव होते हैं जो अपरिवर्तनीय होते हैं। शोध की प्रमुख लिडेवी बोगर्स ने कहा, “जो लोग किशोरावस्था में प्यूबर्टी ब्लॉकर्स लेते हैं, उनके कंकाल का आकार अधिकतर उनकी जेंडर पहचान के अनुरूप होता है।”
यह भी पढ़ें : Shilpa Shetty ने 32 किलो वजन कैसे घटाया: सरल टिप्स फॉलो करें भविष्य की दिशा वैज्ञानिक अब यह जानने का प्रयास करेंगे कि यौवन अवरोधक और जेंडर-अफर्मिंग हॉर्मोन (Gender-affirming hormone therapy) से होने वाले शारीरिक बदलाव ट्रांसजेंडर युवाओं की शरीर की छवि (बॉडी इमेज) और जीवन की गुणवत्ता (क्वालिटी ऑफ लाइफ) पर कैसे प्रभाव डालते हैं।
(IANS)